12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के अपराध में मृत्युदंड तक की सजा देने संबंधी महत्वपूर्ण विधेयक को 30 जुलाई को लोकसभा ने मंजूरी दे दी।
इसके तहत 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म करने वाले को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। लोकसभा ने विधेयक पर कुछ सदस्यों को संशोधनों को खारिज करते हुए दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इसमें भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन किया गया है। यह विधेयक इस संबंध में 21 अप्रैल को लागू दंड विधि संशोधन अध्यादेश 2018 की जगह लेगा।
16 वर्ष से कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा। इसका मतलब उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास से होगा और जुर्माना भी देना होगा। 12 वर्ष से कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा।
16 वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना देना होगा। 12 वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना देना होगा अथवा मृत्युदंड होगा।
इसमें कहा गया है कि बलात्कार के सभी मामलों के संबंध में जांच थाने में जानकारी देने से दो माह की अवधि में पूरी की जाएगी। बलात्कार के अपराध के मामलों में दोषसिद्धि या दोषमुक्ति के विरूद्ध अपील का, उसे फाइल किए जाने की तिथि से छह माह की अवधि में निपटारा करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि जांच और अभियोजन में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करने के भी विस्तृत प्रावधान किए गए हैं।