एक तरफ लोग सरकारी योजना न मिलने का रोना रोते हैं। तो वही कुछ लोग सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने के बाद भी नजर अंदाज कर देते हैं। कुपोषण का ताजा मामला छतरपुर जिले के अतरार गांव से सामने आया है। जहां कि अर्चना शिवहरे नाम की महिला के तीन बच्चें कुपोषित होने के बाद भी पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती नहीं कराना चाहती। वहीं गांव कि अन्य महिलाओं ने केंद्र के खाने कि व्यवस्था पर सवाल उठाया है। महिला का आरोप है कि उसका पति उसको जाने नहीं देता है।
अर्चना शिवहरे का कहना है कि तीनों बच्चें कुपोषित है लेकिन मुझे पता है कि वहां मेरे बच्चों का इलाज नहीं हो पायेगा क्योंकि वहां का खाना अच्छा नहीं है? मुझे वहां भर्ती ही नहीं करना है, मैं बच्चें नहीं सभाल पाऊंगी । मैं अपने बच्चों को घर में ठीक कर लूंगी जो खाना खाते है वो तीनों उसी खाने को खाकर ठीक होंगें।
भाना ने बताया कि तीन साल से एनआरसी में भर्ती करते हो गया लेकिन लड़की आज भी कुछ दिनों के लिए ठीक हो जाती है तो फिर कुछ दिन बाद वैसी ही हालत हो जाती है। दो चार दिन में एक दिन सब्जी मिल गई तो ठीक नहीं तो नमक चटनी खाते हैं। न दूध मिलता, और न मठ्ठा मिलता है।
अतरार गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शीला तिवारी ने बताया कि शासन से 120 रुपिया मजदूरी के हिसाब से मिलेगा, खानपान मिलेगा। चौदह दिन के हिसाब से बच्चें की दवा होगी बच्चा ठीक होकर आयेगा। आने जाने का 200 रुपये प्रतिदिन का मिलेगा।
सीडीपीओं अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को जाकर बताई भी हैं लेकिन कोई भर्ती करने को तैयार नहीं है। बच्चों को भर्ती करवाने के लिए सारे तरीके आजमा लिए, लेकिन अब पुलिस की सहायता लेकर भर्ती करवाने की कोशिश करेंगे।
रिपोर्टर- नसरीन