मजदूरी की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना में छतरपुर जिले के ब्लाक छतरपुर गांव चमरबा पुरवा में मजदूरों के नहीं बने मजदूरी कार्ड, जिससे मजदूरों को मनरेगा में काम नहीं मिल पा रहा है। काम की तलास में लोग दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े शहरों में पलायन को मजबूर हैं।
संजय का कहना है कि यहाँ की कोई हमें जानकरी भी नहीं है, कि कैसे बनवाते है। मजदूरी सरपंच देटी है तो करते हैं। भगवानदास ने बताया कि हम तो काम करने लायक ही नहीं है क्या काम कर पाएंगे एक हाथ से इसलिए गुडगांव में चौकीदारी करता हूँ। छतरपुर में कोई काम नहीं मिलता है। गोपाल का कहना है कि हमारी बनाते ही नहीं है, क्या पता क्यों नहीं बनाते हैं? कोई सुनता ही नहीं है, कहते हैं, कि तुम बूढ़े हो गये हो। हम तो धोबी है, तो बस धोबी वाला काम करते हैं। मुन्नीबाई ने बताया कि जितने काम करके आये तो यहाँ बैठ के खाया पिया और फिर हाथ में हाथ रखके बैठे रहे। सब लोग काम के लिए इधर-उधर फिर रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है।
अधिकारी सैयद अजहर अली का कहना है कि मजदूरी श्रम से संबंधित आपदाए हैं, तो श्रमपाठ के लिए शासन के द्वारा खिन भी नाम पंजीकृत होना अनिवार्य है जिससे मनरेगा का काम करने के लिए आसानी हो जाय। इसलिए खिन भी रजिस्टर्ड फार्म में ग्राम पंचायत में अभी हमने एक वो संगठित किया है, जो आसंचालिक मजदूर के लिए है।
रिपोर्टर: आलिमा तरन्नुम
Published on May 30, 2018