जब गांव में कुपोषित बच्चें होते हैं, तो एनआरसी में भर्ती किया जाता है। जिला छतरपुर के माधवपुर गांव में इसका उल्टा हो रहा है। आंगनबाड़ी का आरोप है कि बार-बार कहने के बाद भी बच्चों के माता पिता अपने कुपोषित बच्चों को क्यूँ एनआरसी नहीं ले जा रहे हैं?
शीला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि कुपोषित बच्चों के माता पिता से कुपोषित एनआरसी में भर्ती करने को कहा है। लेकिन वो जाते ही नहीं हैं। हमने पुलिस की धमकी भी दी है। लोग कहते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है। एनआरसी वालों का कहना है कि अपने बच्चों को साफ-सफाई से खिलाओ, हाथ गंदे न हो और दूध पीने वाले बच्चों की मां को अच्छा खाना,खाना चाहिए। कई बच्चों को हम लेकर गये हैं, तो ठीक हो गये हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रभारी दुबे ने बताया कि हम तो कई बार कह चुके हैं। लोगों का कहना है कि हमारे पास समय नहीं है।वहां सब सुविधा मिलती है,बच्चों को दवा खाना मुक्त जो साथ में जाते है खाना और हर दिन के हिसाब से सौ रूपये मिलते हैं। रानी का कहना है कि बच्चा अकेले वहां कैसे भर्ती रहेगा और हम साथ में नहीं जा पायेंगें। सियाराम ने बताया कि हमें एनआरसी के बारे में पता नहीं हैं।
सुपरवाइजर हेमलता का कहना है कि लोगों से खुद सम्पर्क करके उनको समझाया है। मान भी जाते हैं लेकिन घर के कारण नहीं आते हैं। तब आंगनबाड़ी से कुपोषित बच्चों को आहार देते हैं।
रिपोर्टर- आलिमा तरन्नुम