छतरपुर जिले के धामची ग्राम पंचायत के टीकर गांव में मनरेगा का काम तो चल रहा है लेकिन काम ठेकेदारी से काम होने के कारण मजदूरी का काम गांव के लोगों को नहीं मिल रहा है, लोगों के अनुसार ठेकेदार दूसरें गांव के लोगों को काम देता है। मनरेगा में काम नहीं मिलने पर लोग खेतों में करते हैं, मजदूरी ठेकेदारी प्रथा से काम की मनाही के बाद भी हो रहा है कानून का उल्लघंन।
केसर ने बताया कि आर.सीसी.रोड में हमने काम नहीं किया था क्योंकि जब किसी ने हमें कहां ही नहीं तो काम कैसे करें। धूपचन्द्र का कहना है कि इधर आए.सीसी.रोड का निर्माण हुआ है, तो ठेकेदार बाहर से मजदूर लेकर काम करवाया है, यहाँ किसी को कुछ नहीं बोला है, कि काम करोगे कि नहीं। जब उसने कुछ नहीं कहां तो हमनें पूछा कि काम क्यों नहीं देते हो, तो बोला कि ये पहले से ठेका हो गया था। आपका इससे कोई लेना देना नहीं है। तब हम सरपंच से भी बोले, तो सरपंच ने कहा कि हमने तो, उसे ठेका दे दिया है। आरती ने बताया कि पंचायत की तरफ से काम कभी-कभी मिलता है कभी कोई काम कराता है तो कभी नहीं कराता है। आर.सीसी.रोड में किसी ग्रामवासी को काम में नहीं लगाया। मजदूर बाहर से लेकर आया था। रामस्नेह का कहना है कि सरपंच काम ठेका में दे देता है और ठेकेदार बाहर से मजदूर लेकर काम करवा लेता है। हरबाई का कहना है कि हमारे यहाँ चार गांव की पंचायत है, तो यहाँ के लोगों को काम में लगाने की बजाय दूसरी जगह के मजदूर लेकर काम करवाते हैं। हमें कोई पूछता ही नहीं है।
सरपंच हन्नू का कहना है कि काम खूब मिलता है कोई काम नहीं है जो मजदूरों को नहीं दिया जाता हो, लेकिन यहाँ के मजदूर 200 रुपये में काम करने को तैयार नहीं होते हैं, तो इसलिए बाहर से मजदूर बुलाने पड़ते हैं।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी छतरपुर के सईद अजहर अली का कहना है कि हम लोग किसी ठेकेदार के माध्यम से काम नहीं करवाते हैं। ग्राम पंचायत के लोगों से ही काम कराया जाता है।
रिपोर्टर: नसरीन खातून
Published on May 7, 2018