विधवा पेंशन योजना के तहत विधवाओं को सरकार की तरफ से पांच सौ रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, पर अगर हम ग्रामीण स्तर पर देखें, तो यह योजना घोटालों से भरी हुई हैं। ऐसी ही हालत है छतरपुर जिले के इकारा गांव की।
भूरीजी का कहना है कि कहते थे कि इस साल पेंशन बंद करवा दिया जायेगा। पता नहीं कि क्यों कटा दिया गया है। हम गये थे, तो पैसा ले लिया है और न तो राशनकार्ड बनाते हैं, न तो तेल, अनाज देते हैं। मेरी उम्र सत्तर साल है। नबरया ने बताया कि पता नहीं कि इस बार पेंशन क्यों नहीं आई है? आज से बीस साल हो गये हैं, बस तीन महीना पेंशन आई थी। अभी इधर एक साल से पेंशन नहीं आ रही है। छतरपुर जाके कई बार फोटोकापी और पैसा दे आये हैं, लेकिन कोई सुनता नहीं है। धारी बाई ने बताया कि हमने शिकायत भी जमींदार के द्वारा की है लेकिन पेंशन नहीं आई है। हमारे यहां एक लड़का और बूढ़ समधी है और हमारे घर में परेशानी ही परेशानी है।
पेंशन प्रभारी रोहित का कहना है कि या तो उनके पास बीपीएल कार्ड नहीं है या तो उनकी उम्र कम है, जिसकी वजह से वो पेंशन पाने वालों कि जगह में नहीं आ रहे हैं। जिनके पास बीपीएल है और जो बीपीएल की सत्ता रखते हैं उनको पूरी पेंशन मिल रही है। लेकिन अगर कोई लिस्ट है जिसमें पेंशन पाने योग्य पात्र हैं और उन्हें नहीं मिल रही है, तो उनके आवेदन बना देगें।
रिपोर्टर: आलिमा तरन्नुम