जिला चित्रकूट, गांव पछियावडा हिंया रहै वाले रामकेश उर्फ़ कल्लू बचपन से पत्थर के मूर्ति बनावे का काम करत हवै। पै अब चीनी संगमरमर अउर फाइबर के मूर्ति के बाजार मा ज्यादा मांग हवै यहै कारन पत्थर से मूर्ति बनावै का काम कम होत चला जात हवै। रामकेश जइसे हुनरमंद आपन काम छोड़ के दूसर काम ढूढ़े का मजबूर हवैं।जिला चित्रकूट, गांव पछियावडा हिंया रहै वाले रामकेश उर्फ़ कल्लू बचपन से पत्थर के मूर्ति बनावे का काम करत हवै। पै अब चीनी संगमरमर अउर फाइबर के मूर्ति के बाजार मा ज्यादा मांग हवै यहै कारन पत्थर से मूर्ति बनावै का काम कम होत चला जात हवै। रामकेश जइसे हुनरमंद आपन काम छोड़ के दूसर काम ढूढ़े का मजबूर हवैं। रामकेश बताइस कि पत्थर से मूर्ति बनावै का हमार पुश्तैनी काम आय।एक मूर्ति बनावै मा 10 दिन का समय लागत हवै। एक मूर्ति बिके मा सौ दुइ सौ रुपिया बस मिलत हवै मूर्ति छह महीना न बिके तौ काम रुक जात हवै। अब मारवल के मूर्ति बिके के कारन काम कम चलत हवै यहै कारन अब हम दूसर काम करबै। खेती मजूरी सब्जी लगावै का काम कुछौ भी करबै काहे से पेट खातिर कुछौ न कुछौ तौ करें का पड़ी।
रिपोर्टर- सहोद्रा
Published on Jul 3, 2017