जिला चित्रकूट, क़स्बा कर्वी सरकारी अस्पताल मा या समय बहुतै लापरवाही देखे का मिलत हवैं। सरकार एक कइत तौ गर्भवती मेहरियन खातिर बहुतै सुविधा दे के बात कहत हवैं।पै आज भी मेहरियन के अस्पताल के बाहर आये दिन बच्चा होइ जात हवैं। उनकर हालत देख के लागत हवै कि सरकारी योजना बहुतै लापरवाही से चलाई जात हवै।
मानिकपुर ब्लाक ददरी माफ़ी घाटा कोलन के प्रीति का कहब हवै कि 3 अक्टूबर का बच्चा होय खातिर वहिके पेट मा बहुतै पीड़ा होत रहै। पहिले तौ नर्स भर्ती कइ लिहिस रहै। पै बाद मा उंई मोहिका बाहर निकाल दिहिस रहैं। कहत रहै बच्चा के मुह मा पानी चला गा हवै। अउर नर्स दस हजार रुपिया मांगत रहै, मैं गरीब मेहरिया येत्त्ते रुपिया कहां से देव। तबै उंई मोहिका बाहर निकाल दिहिन । तबै टट्टीघर मा मोरे बच्चा होइगा।
प्रीति के दादी दसोधिया बताइस कि नर्स कहत रहै बच्चा फूल गा हवै। जानकीकुण्ड लई जाओ नर्स 600 रुपिया के इंजेक्शन बाहर से मांग के प्रीति के लगाइस फेर वहिका बाहर निकाल दिहिस रहै।
लखनपुर के मंटो देवी बताइस कि वहिके देवरानी सुशीला के 4 अक्टूबर के विटिया होय मा नर्स पांच सौ रुपिया मांगत रहै। रुपिया न दें मा उंई बहुतै चिल्लात हवैं। जच्चा अउर बच्चा के तबियत खराब होय मा उंई देखे तक नहीं आवत, डा एन के गुप्ता का कहब हवैं कि हिंया सब दवाई सेंत मा दीन जात हवैं। जेत्ता कसूर रुपिया मांगे वालेन का हवै उतनै कसूर रुपिया दे वाले का भी हवैं। प्रीति का नर्स भर्ती कइ लीन रहै। वहिका टट्टी लाग रहै दर्द कारन बच्चा टट्टीघर मा होइ गा हवै।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी
ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पर नज़र- खबर लहरिया की नयी श्रृंखला जो उत्तर प्रदेश के गाँवों और कस्बों में सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था को परखती है। चित्रकूट जिले में स्वास्थ्य विभाग में लगातार हो रही लापरवाही से लोगों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल से विश्वास उठता जा रहा है। लोगों का कहना है कि न ऊचित स्वास्थ्य व्यवस्था है और न ही डॉक्टर इनकी बात सुनते हैं।