आगी मा तपत जिन्दगी लोहार के होत हवै काहे से उंई आगी मा हंसिया खुरपी बनावें का काम करत हवैं। जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव सेमरा मा रहै वाला रामसनेही बचपन से हंसिया खुरपी बनावें का काम करत हवै वहिके लगे दूरी-दूरी से मड़ई हंसिया खुरपी बनवावें आवत हवैं।
कारीगर रामसनेही बताइस कि तीन साल मैं या काम करत आहूं सोलह-सत्ररह साल के उमर मा मैं हंसिया खुरपी बनावें का काम सीखे रहेंव। बीच मा बारह तेरह साल लकड़ी का सामान बनावें का काम करत रहें हौ अब आपन पुस्तैनी काम करत हौं। चैत अगहन मा हमार ज्यादा काम होत हवै काहे से या समय धान अउर गेंहू के कटाई का काम तेजी से चलत हवै एक कुल्हाड़ी धार तेज करावें मा बीस रूपिया लागत हवै। जोगेंद्र बताइस कि मैं दूई साल से हिंया हंसिया बनवावें आवत हौं।
मैं आठ किलोमीटर दूरी से आवत हौं।बृजलाल बताइस कि हम हिंया हंसिया कुल्हाड़ी के धार करावें आवत हौं नहीं तौ हमें शंकरगढ़ जाए का पड़त हवै। हुंवा जाए मा पचास रूपिया लागत हवै।
रिपोर्टर-सुनीता देवी
Published on Dec 1, 2017