सफाई का मुददा मोदी सरकार के पहिली सूची मा हवै। पै हिन्दू धर्म के आस्था का प्रतीक चित्रकूट जिला के ब्लाक कर्वी के मन्दाकिनी नदी हजारन साल से चित्रकूट मा बहत हवै जेहिके सफाई हर साल कागजन बस मा होत हवै यहै कारन स्वच्छ भारत अभियान के बड़ी-बड़ी बात फेल होत दिखाई देत हवै।
नाव चलावें वाला विनोद निषाद बताइस कि नौ साल से पहिले या नदी के नींकतान से सफाई भे रहै पै अब सफाई के नाम से खाना पूर्ति बस होत हवै, हर अमावस्या सीढ़ी बस मा सफाई होत हवै। नारायण दत्त पांडे का कहब है कि चित्रकूट धाम या नदी का गहना आय। यहिकर गंदगी कउनौ अधिकारी अउर कर्मचारी साफ नही करत आहीं काहें से रामघाट से लइके जानकीकुंड तक गंदगी फैलावे वाले रावण अउर खरदूषण हवैं। सबसे पहिले हिंया शौचालय के व्यवस्था कीन जाये जेहिसे गन्दगी खतम होइ सकै। दुकानदार राहुल का कहब हवै कि जबै से हिंया लाज, धर्मशाला का गंदा पानी सरयू नदी मा आवे लाग हवै तबै से नदी नाला बन गें हवै। पुजारी राजेन्द्र प्रसाद का कहब हवै कि मड़ई फोटो खिचावै अउर आपन नाम करै खातिर सफाई का नाटक करत हवैं। बुन्देली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह का कहब हवै कि 2016 से हम स्वच्छता कार्यक्रम चलाइत हवै, या साल कामदगिरी पर्वत से प्लास्टिक के गन्दगी साफ करै का अभियान चलाये हन।
विधायक चंद्रिकाप्रसाद उपाध्याय का कहब हवै कि सफाई के बजट के बारें मा पता नहीं आय। स घाट बनें खातिर बजट आव रहै तौ घाट बना दीन गें हवै।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी
Published on Jan 29, 2018