जिला चित्रकूट के बगरेही गांव मा एक अलग समस्या हवै। हिंया के मड़इन का बन्दर जियब मुश्किल करै हवैं। एक कइत बन्दरन के जनसंख्या बढ़त हवै तौ दूसर कइत मड़इन का दुःख बढ़त हवैं।
पप्पू का कहब हवै कि मड़ई हिंया कच्चे घर बनाके रहत हवै तौ बन्दर चीर से खपरा हटा देत हवै जेहिसे बरसात मा सगले चुवे लागत हवै, रातभर सो नहीं पाइत हिंया- हुंवा खटोली सरकावत रात बीतत हवै। बन्दर बच्चन का काट लेत हवै अउर मेहरियन का खाना नहीं बनावें देत आहीं। पहिले तीन-चार बन्दर रहे हवै अब तौ बीस हजार बन्दर होइगें हवैं। अनुज कुमार का कहब हवै कि हम बन्दर के मारे ढंग से खाना नहीं खा पाइत आय। बन्दर खेतन के फसल खराब कइ देत हवैं। यहै कारन मड़ई खेती नहीं करत, बाहर कमायें खातिर चले जात हवैं। सुनील कुमार मिश्रा का कहब हवै कि हिंया आसावर माता का मन्दिर हवै अउर बन्दर बहुतै ज्यादा हवैं। वन विभाग बन्दर का पकड़े नहीं आवत आहीं। भरत यादव का कहब हवै कि बन्दर से बचे खातिर चीर मा कांटा रखित हवै। बन्दरन के कारन हिंया के लड़का-लड़की के शादी नहीं होइ पावत आय। वन विभाग कुछौ कारवाही नहीं करत आहीं। वन क्षेत्राधिकारी राजेश सिंह वर्मा का कहब हवै कि धार्मिक आस्था के कारन बन्दर का हटावे का काम धीरे-धीरे होत हवै काहे से मड़ई बन्दर का हनुमान का रूप मानत हवै। बन्दरन का जल्दी दूसर जघा लइ जावा जई।
रिपोर्टर- सहोद्रा
Published on Feb 5, 2018