जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव अर्तरसुई। ढिबरी में हमपढ़ाई करते हैं, पर कभी मिट्टी का तेल होता है, और कभी नहीं, जिसके कारण कभी पढ़ाई होती है, तो कभी नहीं। ये बात अर्तरसुई गांव के 13 साल के दीपक कहते हैं। दीपक की तरह ही संवारी लाल भी रात में 1घंटा पढ़ाई करता है। गांव में अगर बिजली होती तो और ज्यादा पढ़ाई करने की इच्छा जताता है, पर वह और अधिक पढ़ाई नहीं कर सकता है। क्योंकि 350 की जनसंख्या वाले इस गांव में बिजली विभाग की ओर से सर्वे तो कई बार हुए हैं,पर बिजली कभी नहीं आई।
देश को आजाद हुए 69 साल हो चुके हैं, और देश नई रफ्तार को पकड़ने के लिए बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है। पर इस ही देश का एक कोना ऐसा भी हैं, जहां लोगों को बिजली भी नसीब नहीं हो रही है।
गांव के रहने वाले मुन्ना लाल कहते हैं कि शादी ब्याह के दिनों में 1500 रुपये का जनरेटर किराए पर लिया जाता है। इस तरह गांव के लोग अपना काम चलाते हैं। राम देवी बिजली नहीं होने पर कहती हैं कि गांव में चुनाव के समय तो नेता लोग सड़क, बिजली की बात करते हैं, पर चुनाव के बाद ये सरकारी काम कह कर चुप हो जाते हैं।
4 महीने पहले बिजली विभाग के लोग गांव का सर्वेक्षण करके गए थे। पर अभी तक गांव में बिजली नहीं आई है। ये बात मुन्न मिश्रा बताते हैं। वह कहते हैं कि इस देरी की वजह बिजली विभाग ठेकेदार का नहीं होना बता रहा है। वहीं बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर रामशंकर कुमार गुप्ता इस गांव में बिजली पहुंचने में 6 महीने तक का समय लगने की बात कहते हैं। साथ ही वह इस समय दीनदयाल उपाध्याय गांव में बिजली पहुंचनाने का काम खत्म होने के बाद इस गांव में काम कराने की बात कहते हैं।
अब देखना है कि 350 की आबादी वाली इस बस्ती में बिजली के दर्शन आखिर कब होंगे। और यहां के लोग अपने काम दिन की तरह रात को भी कर पाएंगे या नहीं।
रिपोर्टर- सहोद्रा
27/02/2017 को प्रकाशित