जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव हन्ना सावन के महीना से लइके कार्तिक के महीना तक हर जघा दंगल होय लागत हवै। दंगल का नाम सुन मड़ई आपन काम धाम करब भी भूल जात हवैं फेर चाहे जेत्ता दूर जाये का परै उंई बिना दंगल देखे नहीं रहत आहीं।
शिवधर त्रिपाठी बताइस भगवान कृष्ण के जन्म दिन मा हम लोग हर साल हिंया दंगल करवावत हन। दंगल के शुरुवात हिंया सौ साल से चली आवत हवै। तब से अबै तक या परम्परा बनी हवै। हिंया दंगल मा पहलवानी करै खातिर मऊ, टिटहरा, बांदा, झांसी जईसे शहरन से पहलवान आवत हवैं।
लवकुश पहलवान बताइस मोहिका बीस साल होइगे पहलवानी करत,करत। मोहिका पहलवान बनै का सउख बहुतै रहै। अब तौ मोहिका पूर दुनिया देखत हवै। मैं झांसी,कानपुर,हिंमाचल,जम्मू जई से जघा मा भी दंगल लड़े गयेव हौं।
कमलेश का कहब हवै मोहिका अपने जीवन मा पहलवानी करै का बस सउख हवै। मैं अपने महतारी बाप अउर गुरु का नाम रोशन करे चाहत हौं। मैं जबलपुर,बनारस,ग्वालियर तक दंगल खातिर गयेंव। साल मा कम से कम दस कुश्ती लड़्त हौ अउर कइयौ जघा से जीत के वापस आय हौं।
शिवधर त्रिपाठी बताइस भगवान कृष्ण के जन्म दिन मा हम लोग हर साल हिंया दंगल करवावत हन। दंगल के शुरुवात हिंया सौ साल से चली आवत हवै। तब से अबै तक या परम्परा बनी हवै। हिंया दंगल मा पहलवानी करै खातिर मऊ, टिटहरा, बांदा, झांसी जईसे शहरन से पहलवान आवत हवैं।
लवकुश पहलवान बताइस मोहिका बीस साल होइगे पहलवानी करत,करत। मोहिका पहलवान बनै का सउख बहुतै रहै। अब तौ मोहिका पूर दुनिया देखत हवै। मैं झांसी,कानपुर,हिंमाचल,जम्मू जई से जघा मा भी दंगल लड़े गयेव हौं।
कमलेश का कहब हवै मोहिका अपने जीवन मा पहलवानी करै का बस सउख हवै। मैं अपने महतारी बाप अउर गुरु का नाम रोशन करे चाहत हौं। मैं जबलपुर,बनारस,ग्वालियर तक दंगल खातिर गयेंव। साल मा कम से कम दस कुश्ती लड़्त हौ अउर कइयौ जघा से जीत के वापस आय हौं।
रिपोर्टर- सहोद्रा देवी
01/09/2016 को प्रकाशित
चित्रकूट के हन्ना गाँव में शुरू हुआ दंगल