जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव पराको सरकार कइत से गरीबन खातिर अबै भी कउनैा रोजगार नहीं आय। यहै ख़ातिर मड़ई अबै भी पीढ़िन से चले वाला काम करै का मजबूर हवै अउर दुइ दुइ रुपिया मा बिके वाला खजूर का आइ बनावत हवैं। घर घर मा इस्तेमाल होय वाला खजूर की झाडू तैा मड़ई बाजार से खरीद लावत हवै।
सुनीता अउर कीति बतावत हवै कि खजूर के झाडू बनावै का काम करत पीढ़ी बीतगे अबै भी हम खजूर के झाड़ू बनाइत हन। रामनगर से खजूर के पतता कत्तौ फिरी सेंत मा जात हवै। तौ कत्तौ पांच छह सौ रुपिया मा खरीद के लाइत हन। वहिक़े बाद वहिका झाड़ के काटित हन। फेर झाड़ू बनाइत हन। झाड़ू बनावत दरकी पत्ता हाथ मा पात ह्वै जेहिसे हाथ सूज जात ह्वै। कत्तौ कत्तौ घाव पाक जात हवै जेहिसे बहुतै परेशानी होत हवै।
एक हजार झाड़ू बनावै या एक महीना के समय लाग जात हवै। एक झाड़ू दुइ से तीन रूपिया मा बिकत हवै झाड़ू बेचै मा पूरा दिन लाग जात हवै कत्तौ कत्तौ रात तक होइ जात हवै पै पीढ़ी दर पीढ़ी से यहै काम करित हन।काहें से सरकार कइत से हमरे खातिर कउनौ दूसर रोजगार नहीं मिलत आय।
जउन सुविधा आवत हवै वा बड़े मड़ई लाभ लई लेत हवै। हम गरीब तौ गरीबै रही जाइन हन।कबै हमार पचन के दिन सुधरी।
रिपोर्टर- सहोद्रा देवी
चित्रकूट के रामनगर ब्लॉक के परौका गांव में बनते हैं खजूर के झाड़ू