स्कूल मा पढ़ै वाले बच्चा सुभाष कुमार का कहब हवै कि हम लोग स्कूल मा पौधा लगाइत हन। उंई पौधन का जानवर खा जात हवै। यहिसे हमार मेहनत मा पानी फेर जात हवै। अगर स्कूल के बाउंड्री बन जाये तौ हमार या समस्या खतम होई सकत हवै। गांव के सुनीता का कहब हवै कि छोट छोट बच्चन के जान का खतरा बना रहत हवै कि कत्तौं साधन के तरे ना आ जाये।
गांव का एक मड़ई कहत हवै कि स्कूल मा मास्टर आ के बइठ जात हवै। उनका कउनौ समस्या नहीं देखाई देत हवै। मास्टरन का तौ बस खिचड़ी बनवावै से मतलब रहत हवै। आपन ड्यूटी पूर करिन अउर चले जात हवै।
स्कूल के हेड मास्टर उमा मिश्रा का कहब हवै कि स्कूल के बाउंड्री बनवावै खातिर बी.आर.सी.विभाग मा कहे हौं,पै बजट न होय के बात कहि जात हवै। रामनगर बी.आर.सी. विभाग के सह समन्वक अखिलेश कुमार पाण्डेय का कहब हवै कि स्कूल के बाउंड्री बनवावै से कउनौ फायदा नहीं आय।वा स्कूल नवा निर्माण करवावा जई। यहिके खातिर सरकार से बजट के मांग कीन जई।
रिपोर्टर- सहोद्रा देवी
सड़क किनारे स्कूल की टूटी बाउंड्री
चित्रकूट के करौंदी कला गाँव में बच्चों के लिए बना ख़तरा