शादी की शहनाई पहले बजती थी। लेकिन अब बिना डीजे के हुडदंग के शादी की रस्में पूरी ही नही होती है। पिछले एक दशक से शादियों में डीजे का ऐसा चलन चला कि वो अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
तो आईये, डीजे के इस खुमार को समझने के लिएचित्रकूट जिले के आगरहुंडा और कसहाई गाँव के डीजे वाले से खबर लहरिया ने बात की।
डीजे प्रमोद भोजपुरी गानों की अधिक मांग की बात करते हैं। उनका कहना है कि लोग भोजपुरी गानों के दीवाने हैं और कुछ खास गानों की इतनी मांग होती है कि वो हर शादी में जरुर बजाये जाते हैं।
राजन कहते हैं कि पहले ढोलक, मंजीरा बजते थे फिर आया बैंड और बैंड के बाद आया है डीजे जिसमें सभी को पीछे छोड़ दिया है।
हालाँकि, शादी की पुरानी रौनक को मिटा डीजे तो आया लेकिन इस पर बजने वाले ज्यादातर गाने महिलाओं को केंद्र में रखकर गाये–बजाये गये। कई बार यही डीजे बारातियों में शामिल शराबियों को महिलाओं पर अश्लील टिप्पणी करने का मौका भी देता है। यही नहीं, इस तरह के गाने महिलाओं को शर्मिदा करते हैं जिसकी वजह से वे शादियों में डांस नहीं कर पाती।
कई बार डीजे को शादी में परिवार की प्रतिष्ठा से भी जोड़ दिया जाता है। डीजे न होने पर लोग अक्सर ताना देते हैं और तरह–तरह की बातें बनाते हैं।
डीजे की बढ़ती मांग को देखते हुए युवाओं ने इसे हाथों–हाथ लिया और सीख कर शादियों में लेपटॉप के साथ गानों को मिक्स करके डीजे बजा डाला।
राजू डीजे वाले का कहना था कि ये छह महीनें का काम होता है नवम्बर से शुरू हो कर पूरे छह महीनें तक हम शादियों में बिजी रहते हैं और आगे के 6 महीनें तैयारी में बिताते हैं। जितनी लागत हमारी लगती हैं उतनी हमें मिल जाती है और यही हमारा असली फायदा होता है।
शादी का मौका नाच–गाने का मौका होता है जिसे डीजे पूरी तरह से खुशनुमा बना देता है।
रिपोर्टर: नाजनी और सहोदरा
Published on May 10, 2018