जिला बांदा अउर जिला चित्रकूट सन 2012 –13 मा सरकार ग्रामीण स्तर मा बहुतै सारी बड़ी-बड़ी गल्ला मण्डी बनवाइन हवै पै सरकार इनतान के गल्ला मण्डी बनवाने के का साबित करत हवै जउन गल्ला मण्डी पहिले से बनी रहै वहिमा कुछौ सुविधा नहीं आय। न किसानन का कउनौ फायदा आय। उत्तर प्रदेश मा जउन सरकार बनत हवै वा बुन्देलखण्ड खातिर खास पैकेज के घोषणा करत रहत हवै।
सरकार करोड़ो रुपिया खर्चा कइके गल्ला मण्डी तौ बनाइस हवै पै गल्ला मण्डी के इनतान के हालत देख के लागत हवै कि सरकार रुपिया का दुरुपयोग करिस हवै।चित्रकूट जिला के भोला सिंह का कहब हवै कि सरकार अपने मन से काम करत हवै। किसानन के मन से कुछौ नहीं करत आय। चित्रकूट के बृजभूषण बताइस कि गल्ला मण्डी मा गेंहू लइ के अइत हवै तौ नम्बर जल्दी नहीं लागत यहै कारन रात के रुके का पड़त हवै।
चित्रकूट के कल्याण सिंह का कहब हवै कि मैं बालापुर खालसा गांव के गेंहू बेचे खातिर आये हौं अबै हमार नम्बर लाग हवै। एक टैक्टर के तौउल होइगें हवै एक टैक्टर बाकी हवैं। 75 कुंतल गेंहू लाये रहेव। तीन घंटा मा 75 कुन्तल गेंहू के तउल होइ जात हवै।मैं एक दिन पहिले से हिंया गेंहू बेंचे खातिर बइठ हौं। बांदा के ओमप्रकाश त्रिपाठी का कहब है कि बुन्दलखंड पैकेज से किसानन का भरोसा होइ गें रहै कि अब किसानन का गल्ला बेंचे खातिर भटके का न पड़ी। पै न प्राइवेट मा न सरकारी कत्तौ खरीद नहीं होत आय। जउन गल्ला मंडी मा कर्मचारी है उंई दीवार ताके बइठ रहत है।
गल्ला बेंचे खातिर 13 किलोमीटर दूरी नरैनी जाये का पड़त है। हेंया सरकारी गल्ला मंडी मा सुविधा होइ जात तौ किसान का किराया भाड़ा बच जात अउर सरकारी खरीद का रुपिया भी किसानन का मिल जात। बांदा का रमेश बताइस कि गांव मा सरकारी गल्ला मण्डी बन जात तौ मड़इन का सरकारी योजना का लाभ मिल जात।खाद बीज के सुविधा भी मिल जात।
बांदा के नीलकंठ त्रिपाठी बताइस कि गल्ला मंडी मा दुकान कागजन मा एलाट होइ गे हैं पै हकीकत मा कुछौ नहीं आय।
अतर्रा के मंडी सचिन छेदी लाल पटेल का कहब है कि एक गल्ला मंडी बने मा 2 करोड़ 35 लाख रुपिया लागत लाग है 2 हेक्टेअर जमीन मा गल्ला मंडी बनी हैं।
रिपोर्टर- गीता देवी और नाजनी रिजवी