जिला चित्रकूट, कस्बा कर्वी चाइल्ड लाइन मा बच्चन के सुरक्षा खातिर 24 घंटा फोन के सुविघा उपलब्ध रहत हवै। काहे से या संस्था मा जउन बच्चा खो जात हवै बीमार रहत हवै उनकर देखभाल कीन जात हवै। चाइल्ड लाइन मा काउंसलर के पद मा काम करत हवैजिला चित्रकूट, कस्बा कर्वी चाइल्ड लाइन मा बच्चन के सुरक्षा खातिर 24 घंटा फोन के सुविघा उपलब्ध रहत हवै। काहे से या संस्था मा जउन बच्चा खो जात हवै बीमार रहत हवै उनकर देखभाल कीन जात हवै। चाइल्ड लाइन मा काउंसलर के पद मा काम करत हवै पुरानी बाजार मा रहै वाली बीनू सिंह। बचपन से बीनू सिंह का बच्चा खातिर काम करै का बहुतै शौक रहा हवै।आओ जानी बीनू सिंह से उनकर या काम के संघर्ष के बारे मा। बीनू सिंह का कहब हवै कि पहिले सुनत रहिवं कि खेती अउर मेहरियन के समूह चलावै खातिर संस्था होत हवैतबै मैं बरगढ़ मा दुइ महीना ट्रेनिंग कइके 2010 मा सेल्फ प्रोजेक्ट मा काम कीने हौं। वहिके बाद 2015 मा चाइल्ड केयर मा काम शुरू कीने हौं काहे से मोहिका बचपन से गरीब बच्चन खातिर काम करै मा अच्छा लागत रहै। भरतकूप के आदिवासी क्षेत्र मा चार बस्ती हवै हुंवा काम करै मा ज्यादा परेशानी होत हवै। जबै हमें कउनौ बच्चा के बारे मा सूचना मिलत हवै कि बीमार हवै या खो गा हवै या मिल गा हवै तौ हम तुरंतै कारवाही करित हवै। हम खोय बच्चन खातिर कोशिश करित हवै कि उनके महतारी बाप मिल जायें। जबै महतारी बाप नहीं मिलत तौ इलाहबाद के बाल गृह मा बच्चा भेंज दीन जात हवै। मोहिका या काम करै मा बहुतै नींक लागत हवै घर मा रुके मा अच्छा नहीं लागत हवै।बच्चन खातिर हमदर्दी से काम करत हौं।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी
Published on Jul 12, 2017