जिला बांदा। ‘मौका देखकर, चौका मारना’ लाइन नेताओं के दलबदल पर सटीक बैठती है। बांदा जिले के नरैनी विधान सभा सीट के विधायक गयाचरण दिनकर दलबदल की नीति पर तीखा प्रहार करते हुए कहते हैं, “जब गीदड़ की मौत आती हैं, तो वह जंगल की ओर भागता है।” बहुजन समाज पार्टी में दलबदल पर गयाचरण दिनकर का मानना हैं, प्रभावहीन लोग जो अनुशासन में काम नहीं करना चाहते हैं, साथ ही अपने निजी स्वार्थ के लिए नेता पार्टी को छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे नेताओं का इतिहास पुराना है। गयाचरण खुद भी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य के दलबदल के कारण विधानसभा में पार्टी के नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में आए थे।
गठीले कदकठी के गयाचरण कुर्ता पजामा और नेहरु जैकट परिधान में रहते हैं, वह बसपा पार्टी के प्रतीक नीले रंग को माथे में तिलक के रुप में लगाते हैं। छप्पन साल के गयाचरण दिनकर 1986 में बसपा से जुड़े थे और इकतीस साल बिताने के बाद भी पार्टी में अपनी निष्ठा बनाए हुए है।
गयाचरण दिनकर बसपा के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के दलबदल की आलोचना करते हुए कहते हैं, “ऐसे नेता बड़े नेता नहीं बड़ेगद्दार हैं, इन नेताओं का इतना जनाधार नहीं की बिना पार्टी के किसी पॉलिंग बूथ से पांच वोट खुद के नाम पर पा सके।” वह खुद को भी पार्टी का एक साधारण-सा कार्यकर्ता बताते हैं। वह पार्टी की नीति और ताकत को इस लाइन में ‘वनमय बहन माया, वन थाट अम्बेडकरवाद, वन वे इस देश के सूबे और हकुमत पर राज करना हमारा मकसद है’ में जाहिर करते हैं।
बांदा के हरदौली गांव में जन्मे गयाचरण दिनकर अपने दादा से प्रेरित होकर राजनीति में आये थे। वह खुद भी अनुसूचित जाति के एक कृषक परिवार से है, जिसके कारण वह बुंदेलखंड के जमीनी मुद्दे को बखूबी जानते हैं। वह अपनी पार्टी के विचार रखते हुए दूसरी पार्टियों को आड़े हाथ लेने से नहीं चूकते हैं। समाजवादी पार्टी के गुंडाराज की आलोचना करते हुए दिनकर बोलते हैं, “कानून से ऊपर काम करने का अधिकार किसी को नहीं है और बिना कानून का राज्य स्थापित किये किसी का भला नहीं हो सकता हैं।” वह बसपा को कानून का राज्य स्थापित करने वाले पार्टी मानते हुए कहते हैं, “उत्तर प्रदेश की जनता सपा के गुंडाराज, माफिया और बेरुखी से परेशान हैं। भाजपा भी केन्द्र में उल्टे-सीधे फैसले लेकर आम जनता का जीना मुश्किल कर रही हैं। ये सभी बाते कहीं न कहीं बसपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुंचाने में मदद करेंगी।” दिनकर बसपा को उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिलने का दावा करते हैं।
बांदा जनपद को बुंदेलखंड का सबसे कमजोर इलाका मानते हुए वह आगे कहते है, “बांदा की इतनी बड़ी आबादी को बहुत समय तक अपनी बात कहने का हक नहीं था। यहां पुलिसिया, माफिया और नेताओं की एक कथित टीम थी, जिससे आम जनता बेहाल थी। पर अब स्थिति थोड़ी सुधारी है।”
बांदा के विकास में वह यहां बड़े कारखाने लगाने की बात कहते हैं, जिससे बेरोजगार को काम मिल सके। वह एक जनप्रतिनिधि होने के नाते इस इलाके के विकास पर कहते हैं,”चित्रकूट और बांदा के लोगों के अधिकारों पर मैं कभी आंच नहीं आने दूंगा।” वह बांदा को अपना घर कहते हुए बोलते हैं, “अपना घर अपना घर होता है। चाहे कल मैं राज्य स्तर का नेता बन जाऊ पर बांदा के लिए काम करना वो भी जिम्मेदारी के साथ ये मेरी हमेशा जिम्मेदारी रहेगी।”
रिपोर्टर- मीरा देवी, मीरा जाटव और कविता
Published on Jan 19, 2017