पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की जाँच में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस हत्याकांड का एमएम कुलबर्गी हत्याकांड मामले से जुड़ाव हो सकता है।
कन्नड़ साहित्यिक विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्या 30 अगस्त 2015 को की गई थी। इस मामले की जाँच से जुड़े एक अधिकारी ने एक अंग्रेजी अख़बार से बातचीत में बताया कि हालाँकि अभी फोरेंसिक रिपोर्ट आनी बाकी है लेकिन जाँच में अभी तक ऐसी कुछ बातें सामने आयी हैं जिनसे पता चलता है कि गौरी लंकेश और कलबुर्गी की हत्या के तार एक दूसरे से जुड़े हो सकते हैं।
इससे पहले कर्नाटक के गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा था कि हत्या की जांच के लिए एसआईटी ने महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त कर लिए हैं। पुलिस सूत्रों का भी कहना है कि जाँच टीम को बहुत यकीन है कि कर्नाटक में हुयी हत्या के तार महाराष्ट्र में हुई गोविंद पंसारे और नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड से जुड़े हुए लगते हैं।
कलबुर्गी हत्याकांड में कर्नाटक आपराधिक जांच विभाग ने जाँच में पाया था कि उन्हें मारने के लिए जिस 7.65 मिमी के पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था उसी से 81 वर्षीय महाराष्ट्र के वामपंथी चिंतक गोविंद पानसरे को कोल्हापुर में 16 फ़रवरी को गोली मारी गई थी।
फोरेंसिक जाँच में यह भी खुलासा हुआ कि 2015 में पंसारे को मारने के लिए इस्तेमाल की गई दो बंदूकों में से एक का उपयोग 20 अगस्त, 2013 को पुणे में महाराष्ट्र में नरेन्द्र दाभोलकर (69) को मारने के लिए किया गया था।
गौरी लंकेश और अन्य हत्याओं के बीच मुख्य अंतर यह है कि गौरी लंकेश की हत्या रात को की गई जबकि अन्य हत्याएं सुबह में की गई।
गौरी और कलबुर्गी की हत्याओं में हो सकते हैं जुड़ाव
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