लखनऊ। गोमती नदी की सफाई अभी ज़ोरों पर है। केन्द्र सरकार ने नदी की सफाई के लिए तीन हज़ार करोड़ रुपए का फंड दिया है। आईए जानते हैं कि आखिर गोमती नदी में गंदगी का कारण क्या है? और लोग सफाई अभियान के बारे में क्या राय रखते हैं?
कुरिया घाट के अरविंद द्विवेदी, कौशल्या देवी ने बताया कि हम यहां लगभग पंद्रह सालों से रह रहे हैं। यहां मंदिर होने की वजह से बीच बीच में सफाई का अभियान ज़रूर चलता है मगर वह खानापूर्ति ही होती है। सारे पैसे अधिकारियों की जेब में जाते हैं, इस बार भी वही होगा। यहां पर कपड़े धोने का काम करने वाले (धोबी) सुवास कनजोरिया, गुड्डू, रमेश कनजोरिया, सुरेश कनजोरिया ने बताया कि हमारी लगभग तीन पीढ़ी यहीं पर कपड़े धोती आ रही है। इसके अलावा हमारा और कोई व्यवसाय नहीं है। अब से लगभग दो साल पहले तो अस्पताल का भी पूरा कचरा यहीं फेका जाता था। आज भी जब बरसात होती है तो सारे शहर का गंदा पानी यहीं आता है। इस गंदगी की वजह से ही अभी कुछ दिन पहले यहां की छोटी मछलियां अपने आप मरने लगी थीं। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। बरसात के मौसम में यहां इतने कीड़े हो जाते हैं कि पानी में पैर डालना मुश्किल हो जाता है। अब भी सफाई हो रही है लेकिन फिर बरसात में तो वही होना है। क्योंकि थोड़ी सी भी बारिश होती है तो पूरे शहर के नाले का गंदा पानी इसी में खोल दिया जाता है।
बालूघाट की सरोज देवी, हिम्मत सिंह ने बताया कि हर बार कोई नई सरकार आती है तो गोमती नदी की सफाई होने लगती है। लेकिन सफाई का बुखार सरकार के सिर से कुछ दिनों में ही उतर जाता है। इस बार सफाई फिर शुरू हुई है तो हमंे उम्मीद है कि गोमती अब साफ रहेगी। नरेंद्र मिश्रा और मंगल सिंह ने बताया कि यहां पर लाशें जलाई जाती हैं उनकी राख भी नदी में ही बहाई जाती है।
सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता रुप सिंह यादव का कहना है कि ये सफाई गोमती रिवर फंड से हो रही है। जिसका बजट पांच सौ छप्पन करोड़ रुपए है। इसे दिसम्बर 2016 तक पूरा कर देना है।
इससे पहले गोमती की सफाई कब हुई इसके जवाब में उन्होंने बताया कि मैंने इससे पहले नदी की सफाई नहीं कराई। शहर के नाले का पानी नदी में न जाए इसके लिए नदी के दोनों किनारों पर नाले बनाए जा रहे हैं जिसके सहारे गंदा पानी लखनऊ से बाहर जाएगा। अगर बहुत ज़्यादा वर्षा हुई तो ही नाले का पानी नदी में गिरेगा। लेकिन उससे नदी के पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।