आज कल दूसरों पर प्रभाव बनाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। कोई अच्छा मेकअप इस्तेमाल करता है तो कोई शानदार कपड़े और जूते आदि पहनता है। लेकिन आज कल जो युवाओं में चलन में है वो है टैटू बनवाना यानी गुदवाना। जी हाँ, टैटू दरअसल गोदना ही है, बस ज़माने के साथ इसका नाम भी बदल गया है।
महोबा जिले के बेलाताल कस्बे में इन दिनों बुडकी नामक मेला लगा हुआ है जहाँ कई गोदने वाले और गुदवाने वाले आपको देखने को मिल जायेंगे। खबर लहरिया की पत्रकार श्यामकली भी इन टैटू को बनते देखने पहुंची।
मेले में मिले राहुल ने अपनी बाजू पर अपना नाम पहचान के लिए लिखवाया है। वहीं, सीता को टैटू बनवाने का शौक था इसलिए उसने अपने हाथ पर गुदवाया। सीता ने बताया कि उसे इसका कई दिनों से इंतज़ार था और आज आख़िरकार उसने टैटू बनवा ही लिया।
बबेरू बाँदा से इस मेले में आये उमेश गोदने का काम करते हैं। वो कहते हैं, गोदना अभी से नहीं बल्कि बरसों पुरानी परम्परा है लेकिन अब इसे टैटू बना दिया गया है। पहले हम प्राचीन मंदिरों के चित्र या आकृतियाँ बनाया करते थे लेकिन अब तो अजीब तरह के डिजायन आ गये हैं।
वो आगे कहते हैं, अब तो परमानेंट टैटू के अलावा महंगे और कुछ समय के लिए बनवाये जाने वाले टैटू भी बाजार में उपलब्ध है। हम तो पहले गली गली में घूमा करते थे लेकिन इन टैटू वालों की तो अब दुकान है बल्कि बड़े बड़े स्टोल हैं।
वहीं, बुजुर्ग महिला सियारानी कहती हैं कि गुदवाना जरुर चाहिये। इससे पहचान हो जाती हैं और ये भी पता लगता है कि कौन मुस्लिम है और कौन हिन्दू।
रिपोर्टर- श्यामकली
published on 29 jan, 2018