जिला फ़ैजाबाद के ब्लॉक तारुन के गाँववासी किसानों ने खाद, बीज आदि की कई समस्याओं को झेलते हुए जैसे–तैसे अपनी गेंहू की फसल को बोने का काम पूरा किया था। लेकिन इन दिनों गेंहू की फसल में मामा रोग यानी बनरगुल्ला का प्रकोप फैला हुआ है। जिसकी वजह से किसान परेशान हैं।
गाँव मीतनपुर के किसान परशुराम बताते हैं कि बड़ी मुश्किलों से तो इस सर्दी में गेंहू बोने का काम शुरू किया था और अब यह रोग लग गया। पहले तो बीज ही बोने में समस्या थी और अब गेंहू की पौध खराब हुए जा रही है।
महिला किसान गायत्री बताती हैं कि गेंहू में लगने वाला मामा रोग, गेंहू के पौध को गला कर नष्ट कर देता है। हर साल दवा लगाने पर भी यह हमारी फसल खराब कर देता है।
किसान हरीराम का कहना है कि इसकी दवा मेडिकल स्टोर में मिल जाती है। मामा रोग में गेंहू के बराबर ही पौध उगती है जो गेंहू का पानी,खाद खींच लेती है और जल्दी ही गेंहू से ज्यादा बड़ी हो कर गेंहू को खत्म कर देती है।
इस बारे में कृषि रक्षा इकाई के प्रभारी मनमोहन का कहना है कि इस रोग को मारने के लिए कई तरह की दवाएं आती है। लेकिन मौके पर यहाँ कोई दवा नहीं है और इस समय वो उपलब्ध भी नहीं हैं। सबसे बेहतर दवा छिडकने वाली ही होती है। ये गेंहू बोने के 30 से 35 दिन बाद छिड़का जाता है, जिससे हर तरह की खरपतवार नष्ट हो जाती है और इससे गेंहू पर एक प्रतिशत भी नुकसान नहीं पहुंचता है। इसका इस्तेमाल इस तरह भी आसान होता है कि दवा के पकैट में एक एकड़ के लिए दवा होती है जिसे आसानी से छिड़का जा सकता है।
रिपोर्टर- कुमकुम यादव
Published on Jan 31, 2018