परिचय– रखमाबाई राऊत
–रखमाबाई भारत की पहली महिला चिकित्सक में से एक थीं। गूगल ने उनके 153वें जन्मदिन पर डूडल(चित्र) बनाकर उन्हें याद भी किया।
–डॉक्टर रखमाबाई का जन्म 22 नवंबर 1864 को हुआ था। मात्र 11 साल की उम्र में उनकी मर्जी जाने बिना उनकी शादी दादाजी भीकाजी से कर दी गई थी क्योंकि उस समय बाल विवाह एक प्रचलित प्रथा थी।
–उनके पति ने उनकी शिक्षा रुकवाकर उनको अपने साथ रहने पर मजबूर किया। बाद में 1884 में उनके पति ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने रखमाबाई से कहा कि वह या तो अपने पति के साथ रहें या जेल जाएं। रखमाबाई ने जवाब दिया कि वह जेल जाना ज्यादा उचित समझती हैं।
–लगातार विभिन्न पत्रों में लिखने वाली रखमाबाई ने जब इच्छा जताई कि वह चिकित्सा की पढ़ाई करना चाहती हैं तो उनके लिए पैसे की व्यवस्था की गई और वह लंदन के दवाईयों के स्कूल में चिकित्सा की पढ़ाई करने गईं। इसके बाद वह एक योग्य फिजीशियन बनकर लौटीं। एक डॉक्टर के अलावा उन्होंने समाजसेवी के रूप में भी समाज के हित के लिए काम किए।
–रखमाबाई ने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे– बाल विवाह और पर्दा प्रथा का भी जमकर विरोध किया। उन्हे एक प्रखर नारीवादी के रूप में भी जाना जाता है।