बनारस। आसमान में कितनी ऊंचाई तक प्रदूषण फैला हुआ है इसका पता नासा (अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने वाली अमेरिकी संस्था) और वाराणसी का बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू) के वैज्ञानिक मिलकर लगाएंगे।
इसके लिए बी.एच.यू. से प्लास्टिक का गुब्बारा आसमान में छोड़ा गया। नासा के सात वैज्ञानिक और भारत के अंतरिक्ष विभाग एवं बी.एच.यू. के सात वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं।
बी.एच.यू. से ऐसा गुब्बारा छोड़ा गया जिसमें सेंसर लगे हुए थे। सेंसर एक तरह की ऐसी मशीन है जो प्रदूषण का पता लगाती है। यह गुब्बारा 26 अगस्त की रात को बी.एच.यू. से छोड़ा गया जो अगले दिन सुबह पांच बजे चंदौली जि़्ाला के पड़ाव क्षेत्र में मिला तो दूसरा गुब्बारा मुगलसराय के कैथी गावं में मिला।
बी.एच.यू. के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने बताया कि हमारे दल ने दो गुब्बारे छोड़े थे। पहला अट्ठारह किलोमीटर ऊंचाई तक गया और दूसरा बीस किलोमीटर ऊंचाई तक गया। लेकिन इसके आग नहीं बढ़ पाया। ये इस बात का संकेत है कि आसमान का 18 वां किलोमीटर प्रदूषण से ग्रसित है। नासा के वैज्ञानिक बनारस, इलाहाबाद और कानपुर के उन हिस्सों को जि़्ाम्मेदार मान रहे हैंजो गंगा के तट पर बसे हुए हैं।