बनारस। स्वच्छता अभियान के लिए सरकार ने आधा प्रतिशत कर बढ़ा दिया है। इसे सेवाकर में जोड़कर लिया जाएगा। अभी तक चैदह प्रतिशत सेवाकर था अब वह बढ़कर साढ़े चैदह प्रतिशत हो गया है। यानी स्वच्छता अभियान में होने वाला खर्चा अब जनता उठाएगी। मगर क्या उसके बाद भी लोगों को गंदगी से राहत मिलेगी? या क्या एक साल में स्वच्छता अभियान ने लोगों को प्रदूषण रहित जीवन दिया है?
बनारस के रमना गांव के लोगों के लिए स्वच्छता अभियान गले की फांस बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट होने के कारण यहां सफाई रखने का दबाव सबसे ज़्यादा है। इस दबाव के चलते यहां का नगर निगम पूरे बनारस का कूड़ा रमना गांव लाकर जला रहा है। यह काम बिना किसी सरकारी आदेश के हो रहा है। रमना गांव में फेंके जा रहे कूड़े के ज़हरीले धुएं और दुर्गंध से वहां के लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस गांव से लगे हुए डाफी, नरोत्तमपुर, नैपुरा गांव के लोगों का कहना है कि ‘कूड़े की बदबू ने तो जीना हराम कर ही रखा था अब इस कूड़े को जलाया भी जा रहा है।’ यहां की हवा बदबूदार और ज़हरीली होती जा रही है। उठनेवाले धुएं से हमारी आंखों में जलन है। बच्चों का खांस-खांस कर बुरा हाल है।
रमना की सरोज, सीमा, विनीता, पप्पू, विजशंकर इन सभी लोगों का कहना है कि अगर नगर निगम की तरफ से कूड़े के निस्तारण का कोई उपाय नहीं किया गया तो हम धरना देंगे। आखिर हमारी और हमारी बच्चों की सेहत का सवाल है। नैपुरा गांव के विक्की, चुनमुन बताती हैं कि ‘शाम होने तक पूरा गांव धुएं से ढक जाता है लेकिन सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठ रहा है। आग को बुझाने के लिए बोरिंग लगाया गया है लेकिन अब वो भी बन्द है।
वाराणसी नगर निगम के अपर नगर आयुक्त श्री बी.के. द्धिवेदी का कहना है कि ‘हम लगातार कोशिशें कर रहे हैं जल्दी ही कोई ना कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।’
गांव में रोज़ उठता है कूड़े का ज़हरीला धुआं
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