ज़िला बांदा, ब्लाक विसण्डा, गांव तेंदुरा ब्लाक तिन्दवारी गांव मिरगहनी। 14 जून को गांव तेंदुरा प्रह्लाद सिंह और 12 जून को गांव मिरगहनी के शिवराम प्रजापति ने आत्महत्या कर ली। लेकिन इन किसानों की आत्महत्या की खबरों से भी ज्यादा परेशान करने वाली यह बात है कि पूरे के पूरे गांव सरकारी कर्ज में हैं। बढ़ते ब्याज़ के कारण हज़ार रुपए से शुरू होने वाला कर्ज़ अब लाखों में हो गया है। किसान प्रहलाद सिंह से पहले दिसंबर 2013 में गांव तेंदुरा के दिगंबर सिंह ने आत्महत्या की थी। गांव में घुसते ही प्रह्लाद का पता पूछने पर लोग फौरन बोलते हैं कि वही प्रह्लाद जिसने कर्ज़ के कारण आत्महत्या कर ली। हां, कहने पर घर का रास्ता बताते हैं। उसकी मौत के तीन दिन बाद भी घर के बाहर लोगों की भीड़ थी। लोग गुस्साएं हैं कि डी.एम. भला यह कैसे कह सकता है कि आत्महत्या का कारण कर्ज नहीं। प्रह्लाद सिंह के भाई गोविंद सिंह पूछते हैं कि तो पिछले साल दिगंबर की मौत भी कर्ज के कारण नहीं हुई थी? दिगंबर ने तीस हज़ार रुपए कर्ज़ लिया था। लेकिन कर्ज़ बढ़ते बढ़ते पचास हज़ार हो गया था। प्रह्लाद के बड़े बेटे रज्जक सिंह ने बताया कि पिता जी कर्ज़ की बात को लेकर परेशान थे। हमने अपनी बहन की शादी के लिए इलाहाबाद किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 2009 में डेढ़ लाख का कर्ज़ लिया था। जो बढ़कर दो लाख तीस हज़ार हो गया था। हमारे पास साढ़े तेरह बीघा खेती है। लेकिन सूखा, पाला, बरसात के चलते हमें खाने भर को भी अगर मिल जाए तो बहुत है। प्रहलाद के बड़े भाई गोविंद सिंह ने बताया कि उन्होंने भी स्टेट बैंक आॅफ इंडिया से साठ हजार का कर्ज़ लिया है। उन्होंने नोटिस भी दिखाया जिसमें साफ लिखा था अगर समय पर कर्ज नहीं चुकाया तो कानूनी कार्रवाई होगी। उनके दूसरे दो भाई भी कर्ज़ में हैं। है। उनसे पूछने पर कि यहां पर लगभग कितने किसान कर्ज़ में हैं। तो उनकी जगह पास खड़े महेंद्र सिंह ने बताया कि यहां आपको ऐसा कोई किसान नहीं मिलेगा जिसने कर्ज़ न लिया हो। मेरे ऊपर भी पांच लाख का कर्ज़ है।
प्रह्लाद सिंह के बेटे रज्जन सिंह ने बताया कि नोटिस आया था या नहीं यह तो हमें नहीं पता। पर उन्हें हम भाईयों से दिक्कत थी नहीं। परिवार में सबकुछ कुशल है तो क्या उन्हें फांसी लगाने का शौक था?
गांव गांव में कर्ज़दार किसान
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