सरकार तौ किसान खातिर क्रेडिट कार्ड का आदेश दई दिहिस है, पै या नहीं देखत कि किसान यहिका फायदा कितना उठावत है। देखा जाये तौ किसान इतना कर्ज उठावत है कि भरै से असमर्थ होई जात है। जबै किसान कर्ज नहीं भर पावत आय तौ आपन जान देय का मजबूर होई जात है। देखा जाय ज्यादातर किसान कर्ज से परेशान होइके फांसी लगा के आपन जान दई दिहिन, पै सरकार उनके कर्जा माफ होय के बारे मा नहीं सोचत आय। उनके परिवार मा लड़कन के सिर का बोझ होई जात है।
यहिसे सवालन मा या उठत है कि सरकार काहे इतना लालच देत है कि बिना सोचे समझे खेतिहर महाजन लाखन का कर्जा उठावत हैं। चाहे भर पावैं या नहीं सरकार का तौ जनता के जान का कउनौ परवाह निहाय। सीधे आपन फायदा देखत है। या सोचे वाली बात आय एक-एक गांवन मा हर किसान के पास कर्जा है। बैंक वाले आपन रूपिया वसूलैं खातिर किसान का नोटिस भेजत है या फेर नीलामी का दबाव देत है। काहे या किसान काहे मा कर्जा भरैं। खेती मा कुछ पैदा नहीं होत यहि मारे सीधे किसान जान देय मा मजबूर होई जात हंै। हजारन किसान हंै जउन कर्ज से परेशान हंै। कर्ज दइके सरकार आपन जिम्मेदारी से दूर होई जात है। अगर जांच कीन जात कउनौ किसान बिना कर्जा का ना होई तौ सरकार का रोक लगावैं का चाही कि किसान यतना कर्जा उठा सकत है।
गले का फंदा बनगे क्रेडिट कार्ड
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