आयरलैंड में गर्भपात के कानून को लेकर 25 मई को जनमत संग्रह हुआ। गर्भपात कानून को बनाए रखने और इसे खत्म करने की मुहिम चलाने वाले दोनों ही गुट अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। आयरलैंड के भारतवंशी प्रधानमंत्री लियो वरदकर गर्भपात पर पाबंदी खत्म करने के पक्ष में हैं।
आयरलैंड में गर्भपात कराना गैरकानूनी है। जीवन खतरे में होने पर ही कोई महिला गर्भपात करा सकती है। इस कानून के चलते हर साल हजारों आयरिश महिलाएं गर्भपात कराने ब्रिटेन जाती हैं। बता दें कि एक भारतीय डेंटिस्ट सविता की मौत के बाद आयरलैंड में गर्भपात को लेकर बड़ी बहस शुरू हुई थी।
प्रधानमंत्री वराडकर ने मतदाताओं से जनमत संग्रह में यह सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में मतदान करने का आग्रह किया कि संविधान में 8वें संशोधन को निरस्त किया जा सके। संविधान में 8वां संशोधन गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है।
वराडकर ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि इस जनमत संग्रह में बहुत लोग भाग लेंगे।’ आयरलैंड की 2 प्रमुख पार्टियों फाइन गेल और फिआना फेल ने जनमत संग्रह पर हालांकि कोई आधिकारिक रुख नहीं लिया है और उन्होंने अपने राजनेताओं को व्यक्तिगत रूप से प्रचार करने की अनुमति दी है।
आयरलैंड में हालिया महीनों में सार्वजनिक बहस बढ़ने के बीच गर्भपात संबंधी कानूनों को लचीला बनाने के अभियान में तेजी आई है। अब करीब 35 लाख मतदाता इस विषय पर फैसला करेंगे कि गर्भपात पर संवैधानिक पाबंदी जारी रहनी चाहिए या इसे हटाया जाना चाहिए।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में संकेत मिले हैं कि नतीजे बहुत करीबी रह सकते हैं और इसका निष्कर्ष उन मतदाताओं के हाथों में है जिन्होंने अभी मुद्दे को लेकर अपना मन नहीं बनाया है।
आयरलैंड पारंपरिक रूप से यूरोप के सबसे धार्मिक देशों में से एक है। हालांकि बाल यौन उत्पीडन के मामले प्रकाश में आने के बाद हाल के वर्षों में कैथोलिक चर्च का प्रभाव कम हुआ है।
अगर लोग इस कानून को निरस्त करने के लिए वोट देते हैं, तो आयरिश सरकार का प्रस्ताव है कि गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह के भीतर महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं। उसके बाद गर्भपात के 24वें सप्ताह तक गर्भपात की उस समय अनुमति दी जाएगी, जब किसी महिला के जीवन को खतरा हो या किसी महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होने का जोखिम हो।