जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव पूरब पताई। हिंया के शांती अउर शिवदुलारी विधवा हवै । उनके रहै का घर नहीं आय। या कारन उंई पंचायत भवन मा रहत हवै।
हिंया के शांती अउर शिवदुलारी का कहब हवै कि हमारे रहै तक का घर नहीं आय। जउन हमार घर जमीन रहै वहिका अपने मनसवा के दवाई मा लगा दीने हन। या कारन हम पंचायत भवन मा रहित हन। शान्ति पांच बरस से शिवदुलारी पन्द्रह बरस से रहित हन। अगर प्रधान हमै एक- एक कालोनी रहै खातिर दइ दे तौ हम पंचयात भवन मा न रहिबे। यहिके खातिर प्रधान अउर डी.एम.का एक महीना पहिले लिखित दीने हन, पै आजौ तक कउनौ सुनवाई नहीं होत आय।
गांव के मड़इन का कहब हवै कि उनके खेती अउर जमीन हवै, पै पंचायत भवन मा रहत हवै। कहित हन तौ कहि देत हवै कि तुम्हारे घर मा नहीं रहित हन। सरकार के जमीन मा रहित हन।
प्रधान ममता सिंह का कहब हवै कि उनके रहैं का घर नहीं आय। या कारन उंई अबै पंचायत भवन मा रहत हवै। मैं उनके रहैं खातिर डेढ़ महीना पहिले प्रस्ताव बना के ब्लाक मा कालोनी खातिर भेजे हौं। अगर पास होइ के आ जई तौ उनका कालोनी दीन जई।
यहिनतान कालोनी के दूसर समस्या जिला चित्रकूट, ब्लाक पहाड़ी, गांव अगरहुंड़ा मा हवै। हिंया का शिवसरन हाथ गोड़ से विकलांग हवै। दस बरस से कालोनी का परेशान हवै, पै अबै तक कालोनी नहीं मिली आय। कालोनी खातिर कइयौ दरकी प्रधान मेडे़लाल से कहा गा, पै वा नहीं सुनत आय।
हिंया के शिवसरन का कहब हवै कि मैं गरीब मड़ई हवै अउर बचपन से विकलांग हवै। चालिस बरस के उमर होइगे ,पै कालोनी नहीं मिलत हवै। मोरे पंाच लड़का झोपड़ी बना के रहत हवैं। येत्ता रूपिया नहीं आय कि आपन घर बना लेंव कउनौतान से खर्चा चलत हवै। प्रधान से कइयौ दरकी कहे हौं, पै कउनौ ध्यान नहीं देत हवै। कालोनी मिल जाये तौ रहै का सहारा होइ जाये। प्रधान मेड़ेलाल का कहब हवै-” अबै कालोनी नहीं आई आय। जबै कालोनी पास होइके आ जई तौ दीन जई।”
गरीबी से परेशान
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