बनारस। लोकसभा चुनाव का केंद्र रहे बनारस के लोगों ने अपनी सबसे बड़ी तीन समस्याओं के हल की उम्मीद नई सरकार से लगाई है। तंगी से जूझते बुनकर, गंदगी और खुदी सड़कों से परेशान लोग। गंगा नदी और घाटों में लगे कूड़े के ढेर इस जिले की पहचान बन चुके हैं। इन समस्याओं का सबसे पहले समाधान चाहते हैं लोग।
गंगा, कूड़ा और सफाई – बनारस की जनता को सबसे पहले गंदगी से छुटकारा चाहिए। रविदास घाट के सोहन ने बताया कि बनारस की पहचान गंगा नदी हुआ करती थी लेकिन अब उसकी गंदगी पहचान बन गई है। घाटों में कूड़े को बचाकर चाहें जितनी कोशिश करो निकलने की आप बिना कूड़े से टकराए निकल ही नहीं पाएंगे।
बुनकरों की नाराज़गी करे दूर – खासतौर पर छोटे बुनकर तंगी से जूझ रहे हैं। बनारस में कनई सराय में रहने वाले रेयाजुद्दीन ने कहा कि लोग कहते हैं बनारसी साड़ियां दुनिया में देश की पहचान हैं। उन्होंने दुखी होकर कहा पर इन साड़ियों को बनाने वाले बुनकर रोजी रोटी को मौहताज है। वहीं चोलापुर में रहने वाले मोहम्मद हुसैन बहुत गुस्से में हैं। उनका कहना है कि कोई सरकार बुनकरों के बारे में कुछ नहीं सोचेगी।
महादलित मुसहर – मुसहर आबादी उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा बनारस में है। पहाड़पुर के अशराफी, स्वामी, कतवारू, कल्लू, धरमा इन सभी ने कहा कि चुनाव के समय में वोट लेने के लिए हम इंसान बन जाते हैं। बाकी समय हम मुसहर ही रहते हैं। आज तक हमें कोई सुविधा नहीं मिली। हमें क्या पता कि सरकार क्या होती है। वरुणा पुल के पास रहने वाले राजेश ने बताया कि यह ऐसी जगह है जहं से होकर हर छोटा-बड़ा नेता गुज़रता है। लेकिन किसी ने हमें पलट कर नहीं देखा है।
गंदगी, बुनकर और जाम बनारस की पहचान
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