फैजाबाद रेलवे स्टेशन हुवय या अयोध्या धाम हर जगह छुट्टा जानवर घूमत नजर आवाथिन। जेसे हर जगह एक्सीडेन्ट हुआ कराथै। इनके ताई कउनौ नियम नाय बाय। अगर कउनौ बड़ा एक्सीडेन्ट हुआथै तबै विभाग वाले जानवरन का पकड़ाथिन।
पूरे अयोध्या फैजाबाद मा जगह-जगह जानवर खड़ा नजर आवाथिन। जनता के भीड़ मा घुसत चला जाथिन। गाडि़यन के सामने आइके खड़ा होय जाथिन। जेसे एक्सीडेन्ट हुवत-हुवत बच जाथै। अगर कउनौ बड़ा हादसा हुवाथै तबै वन विभाग कै टीम पकर के लै जाथै नाहीं तौ केहू देखै वाला नाय रहत कि जानवर से केतना दिक्कत हुवत बाय। रेलवे स्टेषन पै मालगाड़ी से राषन आवाथै तौ दसन जानवर राषन खात नजर आवाथिन। जउने कै कउनौ रोक-टोक नाय बाय। घूम-घूम वही मा खाथिन। देष कै गन्दगी होय जाथै। फिर वही राषन गंाव मा मनईन का बांटा जाथै।
अयोध्या कार्तिक मेला मा भी छुट्टा जानवर घूमत नजर आइन जेसे सांड के हमला से एक कै मउत कइयौ घायल होय गइन। ई अनदेखी षासन प्रसासन काहे कराथै? यतनी कड़ाई रहाथै लकिन जानवरन कै कउनौ सुविधा प्रषासन काहे नाय करत? अगर षासन से ध्यान रखा गै हुवत तौ षायद जानवरन से चारौ तरफ एक्सीडेन्ट न हुवत?
खुले जानवर से बढ़त खतरा
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