जिला महोबा, ब्लाक कबरई, गांव खजुरिहा पहरा। एते के लक्ष्मी को आरोप हे की दहेज में पचास हजार रुपइया न देंय के कारन दो साल से खाना खर्चा को मुकदमा लड़त हे। लक्ष्मी ने दहेज न देके अब अकेले जियें को फैसला करत हे।
लक्ष्मी खाना खर्चा के मुकदमा में महोबा कचहरी में आई हती। लक्ष्मी नेे बताओ की बाप ने चार साल पेहले छतरपुर जिला के बछेवन गांव में सुरेश के साथे करी हती। जीमें अपनी हेसियत से ज्यादा जान दहेज दओ हतो। फिर भी ससुराल वालेन को दहेज में पेट नई भरो ओर मारपीट करन लगे। आदमी कहत हतो की ते छोटी हे अच्छी नइयां। पेहले अपने मताई बाप से पचास हजार रुपइया मगां तभई राखहों नई तो भाग जा, ओर मार के घर से निकार दओ। मताई बाप गरीब होंय के कारन रुपइया नई दे पाये। आदमी सुरेश कहत हतो की अगर रुपइया न लेके एते आहे तो जान से मार देंहो। में चार साल से मायके में रहत हों, ओर दो साल से खाना खर्चा को मुकदमा लगायें हों। मेंने मन में ठान लई हे की अब रुपइया न देके खुद सुरेश से आपन खाना खर्चा लेहों, ओर आपन जिन्दगी खुद अकेले काटहों।
आदमी सुरेश कहत हे की में लक्ष्मी से कहत हों की जोन हो गओ सो भूल जा। में लिवा जाये खा तैयार भी हों पे ऊ खुद नईं जात हे।
खाना खर्चा से जिन्दगी चलायें को फैसला
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