जिला महोबा, ब्लाक कबरई, गांव तिन्दौली। एते की सावित्री की शादी सात साल पहले कैमहा गांव के बीरेन्द्र के साथे भई हती। जीमे ऊ सिर्फ पांच साल अपने ससुराल में रई हती। ईखे बाद से ऊ अपने मायके में रहत हे। जीसे ऊखे अपनो खाना खर्चा चलाये में बोहतई परेशानी होत हे।
सावित्री आपन बीती कछु एसे बताउत हे-“मोई शादी के सात साल हो गये, पे में आपन ससुराल में एकऊ दिन सुख से नई रह पाई हों। जेसे तेसे पांच साल मेंने काट लये हते। काये से मोओ आदमी बीरेन्द्र कछु नई करत हतो। वा जुआं खेलत हतो। शराब पी के मोय साथे मारपीट करत हतो। एइसे में एक साल से अपने मायके में मताई बाप के साथे गुजारो करत हों। मोये दो बच्चा हें जीमे मोओ छोटो बच्चा एक महीना खे पेट में हतो। तभई चली आई हती, पे आज तक काऊ ने जा तक नई देखो कि का भओ हे। एई से में चहत हों कि मोये राखे चाहे न राखे मोये खाना खर्चा तो दे।
सास फूलारानी ने बताओं कि ऊ हमसे न्यारे रहत हतीं। ऊखे कोनऊ ने नई छोड़ो आय। ऊ जान खे आपन मायके में रहन लगी हे। अभे मोये लड़का एक महीना पेहले हरियाणा कमाये खे लाने चलो गओ हे। ऊ जभे आहें तभई कछू फैसला होहे।समाज परिवार ओरतन खा बोझ काहे मानत हे? मायके में ओरतन खा पराया धन ओर ससुराल में पराई बिटिया कह के उखो कमजोर काय बनओ जात हे?