राज्य सरकार द्वारा देश मा जवन खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीब परिवार का राशन देत रहा वह मा हर तरह से लापरवाही किया जात बाय। यकर जिम्मेदारी हर ग्राम पंचायत मा कोटेदारन का सौपा गै बाय कि गरीब मनईन का राशन देय। लकिन गरीब मनईन का कहा राशन मिल पावत बाय। उनकै तौ सूची मा नाम नाय रहत आनलाइन करावै खातिर उनके लगे पैसा नाय रहत। जेकर सूची मा नाम नाय रहत वका राशन नाय मिलत। जेकर आनलाइन भै बाय तो केहू के परिवार कै सदस्य मा नाम ही नाय चढा बाय। जब कि ई राशन परिवार सदस्य संख्या के अनुसार ही राशन मिला थै। परिवार मा प्रत्येक सदस्य पै पांच किलो राशन मिला थै। कोटेदारन द्वारा राशन कार्ड बनावै मा बीस रुपया कि जगह पचास से साठ जमा कराय जात रहा। राज्य सरकार द्वारा जनता का खाद्य सुरक्षा के तहत जवन सुविधा दिया जात बाय। वहू मा अधिकारी द्वारा लापरवाही किया जात बाय आखिर गरीब परिवार कै सूखा से हालत तो वईसै खराब बाय। वै साठ सत्तर रुपया दै कै कहा से कार्ड बनवावय। यतना सब होय के बादौ भी पात्रन कै वी. पी. एल अउर अन्त्योदय कार्ड नाय बन पावत। एक तरफ से जहां सरकार द्वारा सहायता कई जात बाय वही दूसरी तरफ कार्यकर्ता द्वारा धूप मा दौडाय कै वही अधिक वजट लईकै गरीब मनईन का वही स्थित मा पहुंचाय दीन जात बाय।
राशन कै समस्या एक गांव मा नाय हर गांव मा बनी बाय। पांच साल से ज्यादा जेकरे हाथ मा कोटा रहिगा ऊ सही से राशन नाय दियत बाय। केतना मनई तहशील ब्लाक कै चक्कर काटत नजर आवाथिन। लकिन जल्दी सुनवाई नाय हुवत।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम मा हुवत लापरवाही
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