मिड्डे मील राशन कार्ड वितरण अउर पोषाहार योजना। अगर इं योजना का सरकार चलावत है कि गरीब जनता का भर पेट खाना मिलै अउर कुपोषण जइसी बीमारी से बचावा जा सकै। अगर इं योजना का देखा जाय तौ गरीब मड़इन का गुणवत्ता अउर नींक पोषाहार नहीं मिल पावत है। काहे से सच्चाई तौ या है कि इं योजना का लाभ पात्र लोगन के पास
तक नहीं पहुंच पावत आय। कोटा मा राशन कत्तौ-कत्तौ यतना खराब आवत है कि गेहूं चावल सड़ा जइसे गंदात है, पै मजबूरी बस मड़ई यहिका ही खात है। काहे से उनके खाय का कउनौ दूसर जरिया नहीं रहत हैं। सरकार योजना तौ चलाइस है, पै उनके गुणवत्ता मा सवाल उठत है। यहिनतान स्कूल मा मिड्डे मील सुविधा के बात करै तौ वहिका भी यहै हाल है। कत्तौ-कत्तौ तौ स्कूल मा मिड्डेमील बनतही निहाय। जउन स्कूलन मा खाना बनत भी निहाय अउर जउन स्कूलन मा खाना बनत भी है वहिके गुणवत्ता नींक निहाय। यहिसे बच्चन का नींक खाना नहीं मिल पावत आय। यहिके साथै सरकार एक साल मा मिड्डेमील खातिर लगभग दस करोड़ पचपन लाख रूपिया भेजत है। या आकड़ा चित्रकूट के शिक्षा विभाग का आय। आगनवाड़ी मा पोषाहार योजना कउनौ से कम निहाय कतौ कतौ तौ केन्द्र भी नहीं खुलत आय। बच्चन अउर गर्भवती मेहरियन का पोषाहार दें के बात तौ दूर है। आखिर सरकार अनाज के भ्रष्टाचार गरीब परिवारन का पहंचान पावब अउर राशन कार्ड न देवावब। इं सबै के खातिर प्रशासन का जल्दी जिम्मेदारी लें का चाही।
खाद्य योजना सुधारब कहिके जिम्मेदारी
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