ज़िला बांदा, ब्लाक महुआ। जरर गांव के करीब ही मुगल राजाओं द्वारा बनाई इमारत है। लेकिन बिना देखभाल के यह इमारत जर्जर हो चुकी है। यहां के लोग इसको मुगलिया बगीचा या फिर महल के नाम से जानते हैं।
लगभग सत्तर साल के महावीर और संतस्वरूप ने बताया कि बचपन से ही हम इस इमारत को देखते चले आ रहे हैं। बीरान खड़ी इमारत लगातार खंडहर होती जा रही है। इसकी मरम्मत होते हमने कभी नहीं देखा। हमारे बुजु़र्गों ने हमें बताया था कि इसे मुगल बादशाह ने बनवाया था। इसमें अभी तक गांव के सबसे बड़े जमींदार दामोदर प्रसाद का कब्जा था। उनके मरने के बाद उनका बेटा रामभार्गव अपनी जमींदारी चलाता था।
अब तो सरकार ने इसको अपने अंडर में ले लिया है। फिर भी इसकी देखरेख के लिए कभी कोई नहीं आया। अब एक महीने पहले प्रधान ने इसमें गेट और बाउंड्री बनाकर इसे अपने कब्जे़ में ले लिया है। उसने बताया कि प्रधान ने गांव वालों से कहा है कि वह इसमें फलों का बगीचा लगाएगा और देखभाल भी करेगा।
खस्ता हाल ऐतिहासिक मुगलिया बगीचा
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