जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव बरगढ़ हिंया मानिकपुर के रहै वाले मडई खजूर का झाड़ू बनाने का काम करत हवै। झाड़ू बनावे के काम मा ज्यादा रुपिया नहीं आय, पै या काम उंई पेट पाले के मजबूरी के कारन करत हवैं। सरकार गरीबन खातिर तौ बहुतै योजना चलावत हवै पै येत्ती योजना चले बादौ गरीबन का झाड़ू बनाये का मजबूर हवै।
विद्या का कहब हवै कि हम मानिकपुर के रहै वाले आही पै हमरे लगे न जमीन आय न घर आय। हमें कउनौतान के सरकारी सुविधा नहीं मिलत आय यहै कारन हम आपन बच्चन के पेट पाले खातिर झाड़ू बनावै का काम करित हन।जहां पानी रहत हवै नरवा नदी मा हुंवा खजूर रहत हवैं।
मड़इन के खेतन मा रहत हवै तौ पूछ के टोरे का पड़त हवै दुइ दिन मा 40-50 झाड़ू बन जात हवै। मऊ अउर बरगढ़ बाजार मा 40-50 झाड़ू एक दिन मा मा बिकत हवै।
साधना बताइस कि हम जंगल से खजूर लाआईटी हन फेर घाम मा डाल देइत हन। झाड़ू बनावे मा बहुतै मेहनत करै का पड़त हवै।
खजूर का पानी मा फूला के कूटित हन छिलित हन टोरित हवै फेर मूढ़ी लगा के झाड़ू बनाइत हवै।झाड़ू बनावत समय कांटा अउर फांस लाग जात हवै,पै का करी आपन पेट का धंधा आय। एक झाड़ू 3-4 रुपिया का बिकत हवै।
येत्ती मेहनत करै के बाद भी हमार ज्यादा कमाई नहीं होत हवै। आवन गनाव छोड़ के हिंया झोपडी बना के रहै का मजबूर हन।
रिपोर्टर- सुनीता देवी
28/03/2017 को प्रकाशित