हर वर्ष की तरह इस बार भी 29 फरवरी को देश के वित मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट पेश किया है। पर इस बस बजट के मायने क्या है? क्या किसी को इसके बारे में पता है। सरकार ने बजट में कहा है कि वह किसान का दोस्त बन कर क्या किसानों की समस्या का हल हो पायेगा? आम बजट ने किसानों के लिए बात तो बड़ी बड़ी कही है जैसे फसल, बीमा, सड़क योजना में बढ़ोत्तरी, सिंचाई आदि पर सोचने वाली बात यह है कि योजनायें और बजट तो बन जाता है। पर क्या किसानों को इसका लाभ मिलता है। अगर हम बुंदेलखण्ड की ही बात करें तो आज भी ऐसे किसान हैं जिनको 2014.15 के बजट का कोई लाभ नहीं मिलता है। लोग योजना पाने के लिए भटकते रहते हैं। फसल बीमा की ही बात करें। लाख ऐसे लोग हैं जो नुकसान पर नुकसान उठाते हैं। लेकिन मिलता कुछ नहीं है। सरकार सिंचाई की बात कर रही है, पर क्या फायदा जहां पानी ही नहीं वहां कैसे सिंचाई होगी। जल स्तर कैसे बढ़ेगा? जिन मुद्दों पर उनको ज्यादा बजट पेश करना चाहिए। शायद उस पर उनकी नजर कम गई है। जैसे स्वास्थ्य शिक्षा या महिलाओं के लिए स्वास्थ्य की समस्या देश के हर कोने कोने में है। लोग भटकते रहते हैं। नाम के लिए अस्पताल बना दिए जाते हैं। पर बजट नाम के लिए होता है जब तक सुविधाओं के साथ बजट नहीं होगा तो उसकी क्वालिटी कैसे होगी। यह सब जान सकते हैं? क्या महिलाओं के लिए सरकार के पास बुकिंग गैस के अलावा कोई और बजट नहीं है। क्या महिलएं खाना बनाने का बस काम देखती हैं? क्या महिलाओं के लिए बजट मेें ओर कोई जगह नहीं है? सरकार ने बजट में गांव ओर खेती के लिए फोकस किया है जिसमें ग्रामीण इलाकों के लिए जो आवंटन है। पिछले पांच वर्ष कि तुलना में 228 फीसदी ज्यादा है। साथ ही 2022 तक दुगनी करने का मकसद रखा गया है। क्या यह मकसद किसानों और ग्रामीण इलाकों को फायदा पहुंचायेगी ? योजनाओं के लिए सरकार ने 34984 करोड रुपये खर्च किए हैं। इस बजट से कितना को होगा फायदा?
क्या यह बजट से साकार होंगे सपने
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