भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है। लोकतंत्र का मतलब है एक ऐसी व्यवस्था जहां लोग तय करते हैं कि सरकार कौन बनाएगा। हाल में समाप्त हुए लोकसभा चुनावों से एक बात तो साफ है – सब चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार बने। पर इस सरकार के क्या माइने हैं?
16 मई को देश के सबसे ऊंचे कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने छह ऐसे लोगों को रिहा किया जो दस साल से ज़्यादा आतंकवादी होने के आरोप में जेल में बंद थे। यही नहीं, कोर्ट ने गुजरात की पुलिस को फटकारा क्योंकि इन छह लोगों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर कैसे इन लोगों को जेल में रखा गया? इन बेगुनाहों में से तीन को तो गुजरात के हाई कोर्ट तक ने फांसी की सज़ा सुनाई हुई थी। क्या ऐसे में उस समय की गुजरात सरकार पर सवाल नहीं उठते?
जिन पुलिस वालों ने इन लोगों के साथ मारपीट की और झूठे बयान कबूल करवाए वे खुद नकली एन्काउन्टर के आरोप में जेल में हैं। एक राज्य की पुलिस, सरकार और वहां के हाई कोर्ट ने छह बेगुनाह लोगों को आतंकवादी करार दे दिया और उन्हें सालों बंदी बनाए रखा क्योंकि वे एक ऐसे धर्म को मानते हैं जिसे आतंकवाद से जोड़ने में आज कल लोग हिचकिचाते नहीं हैं।
क्या इस मामले में उस समय की सरकार और कानून व्यवस्था को जवाब देना ज़रूरी नहीं लगता? क्या अब केंद्र पर आई नई सरकार की यही सोच होगी? समय है हमारे लिए सवाल करते रहने का और हर मुद्दे के बारे में सोच समझकर फैसला लेने का।
क्या माइने हैं लोकतंत्र होने के
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