लखनऊ। 10 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय संस्था आॅक्सफैम ने राजधानी में राज्य के महिला किसानों और उनके अधिकारों को लेकर एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया।
संस्था के नन्दकिशोर ने बताया कि गांवों के पुरुषों के पलायन कर जाने के बाद गांव में अधिकतर खेती के काम में औरतें ही हैं पर इन महिला किसानों के नाम ना तो ज़्ामीन होती है और ना ही इनके नाम पर किसान क्रेडिट कार्ड बनते हैं।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कई जिलों से महिला किसानों ने भी अपने अनुभव बांटे। जालौन जिले की गिरिजा देवी ने बताया कि उनके पति की मौत के बाद उन्हें कोई ज़्ामीन नहीं मिली। सहारनपुर जिले से आई शीला देवी भी किसानी का काम करती हैं। उन्होंने भी बताया कि उनके पति शहर में काम करते हैं और गांव में खेती वो अकेले संभालती हैं।
क्या महिलाएं किसान नहीं?
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