उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को प्रस्ताव पारित किया है कि जो खरीफ की फसल में जो 50% अनुदान देती थी। उसको बढ़ाकर 80% कर दिया है। लेकिन किसानों का कहना है कि जब 100% हमें पहले ही जमा करना है, तो उसमें जमा करने के लिए पैसे नहीं हैं तो बीज कहाँ से खरीदेगे। जो सरकार अनुदान दे रही है तो 80% छोड़कर 20% जमा करवाए और बीज दे तो किसान लाभ ले सकता है।
संकुल प्रभारी बुन्देलखण्ड किसान यूनियन बाला प्रसाद का कहना है कि लाभ तो थोड़ा बहुत है ‘दाल में नमक के बराबर’ भी लाभ नहीं है। क्योंकि जब सरकार बीज देती है? वही बीज किसान के द्वारा फसल बनकर आती है। अगर वही 1000 में हो तो सरकार 5000 बना देती है, किसान के साथ छलावा बस हो रहा है। अगर सरकार की मंशा है, कि किसानों को लाभ मिले, तो लागत और क्रय दोनों मूल्य जोड़कर भुगतान करे।
किसान बांदा बैजनाथ अवस्थी ने बताया कि फायदा तो मिली लेकिन सरकार बीज का रेट निर्धारित करे। क्योंकि रेट बाजार भाव से कइ गुना ज्यादा होते हैं। जिससे किसानों को फायदा नहीं मिल पाता है। सब्सिडी का पैसा बाद में मिलता है किसान को पूरा पैसा देना पड़ता है। पैसा न होने के कारण योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते है। सब्सिडी कार्य के किसान को उतना ही पैसा लेकर बीज दिया जाये। तो ह ज्यादा से ज्यादा किसानों को फायदा मिल सकता है। पूरा पैसा लगने पर किसान सब्सिडी का पूरा फायदा नहीं ले पाता है। सरकारी बीज भंडारों से बीज को सेल करने के लिए किसानों को तमाम प्रकार क्र प्रलोभन दिए जाते हैं। तब बिक्री वाला बीज खतम होता है। जैसे कि मिनी किट लगा दी गई और प्रदर्शन का बीज साथ में मिला दिया गया। तब ये बिक्री वाला बीज बिकता था। नहीं तो बिक्री वाला बीज कोई किसान खरीदता ही नहीं था। क्योंकि किसान के पास पैसा नहीं था।
बाँदा किसान भोला प्रसाद का कहना है कि पैसा तो लगता है हमारा 100 %छूट जमा करने के लिए पैसा नहीं है। 80% छूट काट ले फिर बांकी ले लें। 100% देने की क्षमता नहीं है। जब 100% जमा हो जायेगा तभी अनुदान मिलेगा।
महोबा किसान राहुल ने बताया कि लाभ मिलता ही नहीं है आज हर किसान सोचता है कि हर चीज होना चाहिये। किसान के घर में कोई बीमार पड़ जाये तो कम से कम पचास हजार रुपिया लगना ही लगना है। किसान को नगद पैसा चाहिये शादी करनी है।
रिपोर्टर: गीता और सुनीता