खबर लहरिया सबकी बातें क्या तीसरे मोर्चे की तरफ मुड़ेगी जनता?

क्या तीसरे मोर्चे की तरफ मुड़ेगी जनता?

left-front_02_660_103013103015

तीसरे मोर्चे की आहटए साम्प्रदायिकता को बनाया मुद्दा

सारे देश का माहौल चुनावी है। सारे राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। हमेशा से जनता इस बात को लेकर दुविधा में रहती है कि वोट किसे दें? कांग्रेस या भाजपा को। लेकिन इस बीच कई क्षेत्रीय दल एकजुट होते दिख रहे हैं। अगर ऐसा हो गया तो जनता भाजपा और कांग्रेस आधारित सरकार के वजाए तीसरी सरकार को भी चुन सकती है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी तो जुलाई से ही इस तीसरे मोर्चे की तैयारियां शुरू कर चुकी हैं। भाजपा से अलग हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी ममता के सुर में सुर मिला रहे हैं। उधर उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और समाजवादी पार्टी भी इस तीसरे मोर्चे को बनाने में जुटी है। इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रीय दल भी इससे जुड़ने का संकेत दे चुके हैं। अगर चुनाव से पहले इसका गठन हुआ तो जनता के पास विकल्प के रूप में इन दोनों राष्ट्रीय दलों के अलावा एक अन्य दल भी होगा। इसके मोटे तौर पर दो फायदे दिखाई पड़ते हैं। पहला, भाजपा और कांग्रेस का एकछत्र राज्य खत्म होगा। दूसरा क्षेत्रीय दलों के गठजोड़ से बना मोर्चा होने की वजह से क्षेत्रीय दल अपने इलाकों की समस्याएं भी आसानी से रख सकेंगे। अभी तक ये क्षेत्रीय दल 30 अक्टूबर को सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एक मंच पर एक साथ इकट्ठा हुए थे। लेकिन ये समझना जरूरी है कि जनता सांप्रदायिकता के अलावा महंगाई, भ्रष्टाचार, गरीबी और आतंकवाद से भी जूझ रही है। ऐसे में इन मुद्दों को चुनकर उन्हें आधार बनाकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार एक दस्तावेज यानी घोषणा पत्र को बहुत सावधानी से बनाना होगा। जिससे सारे देश की जनता खुद को इससे जोड़ सके।