जिला बांदा, तिंदवारी ब्लॉक, सेहिंगा गांव 18 मार्च की शाम के बीच सेहिंगा गांव के प्रधान के घर के बाहर लोगों की भीड़ लगी थी। स्कूल ड्रेस पहने बच्चे लाइन में बैठे थे। बुजुर्ग कुर्सियों पर और युवा अपनी बाइक्स पर बैठे थे। महिलाएं दरवाजेे की आड़ से झांक रही थी। इन सभी को देख कर लग रहा है जैसे यहां नाटक या कोई तमाशा होने वाला था।
सामने देखा कि पीली रोशनी में एक मंच सजा था। दीवार पर पोस्टर लटका था और जादूगर आर.सी. योगा सामने माइक लेकर खड़े थे। उनकी चमकदार पोशाक, भड़कीला मेकअप और फर्र वाली टोपी बेहद लुभावनी लग रही थी। उनके साथ उनका सहायक सर से लेकर पांव तक काले कपड़ो में ढ़का खड़ा था। तभी जादूगर ने अपना गला साफ किया, माइक निकाला और जादू का खेल शुरू हुआ।
अनुमान है कि यह ऐसा तमाशा है जो सेहिंगा के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा होगा। दरअसल, यह अखिलेश सरकार की तरफ से गांव वालों को योजनाओं के बारे में बताने और उन्हें लुभाने का एक प्रचार-प्रसार का तरीका था।
15 से 21 मार्च तक हर गांव में घूम-घूम कर जादूगर योगा अपने खेल के द्वारा अखिलेश सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को बताएंगे। यूपी सरकार ने बांदा जिले में 100 कार्यक्रम आयोजित किये हैं, जिनमें जादूगर, लोकगीत और सांस्कृतिक दल शामिल है।
थोड़ा जादू, कुछ योजनाएं
सरकार की योजनाओं को बड़े ही आकर्षक तरीके से जादूगर ने अपनी तरकीबों द्वारा लोगों को समझाया। इसमें सबसे पहले विभिन्न सरकारी योजनाओं को शामिल किया गया। इसके लिए जादूगर ने गांव के एक दर्शक को बुलाकर एक डिब्बे में हरी पत्तियां डालने को कहा और फिर बच्चों ने फूंक लगायी और उस डब्बे से फूल माला निकला जिसे प्रधान को पहना दिया।
फिर जादूगर ने डिब्बे से एक-एक कर पोस्टर निकालना शुरू किया, जिन पर सरकार की योजनाओं के नाम लिखे थे जैसे- समाजवादी स्वर्ण तीर्थ यात्रा योजना, एम्बुलेंस सेवा, पेंशन योजना, कौशल विकास योजना, 1090 हेल्पलाइन, मुफ्त चिकित्सा, मुफ्त सिंचाई, कब्रिस्तान चार-दीवारी योजना आदि, ऐसे कि नाम लो और योजना हाजिर।
इसके बाद जादूगर ने दूसरी तरकीब दिखाई जिसमें उसने तीन रस्सियों के टुकड़े लिए, एक छोटी यानी गरीब, दूसरी पहले वाली से बड़ी यानी माध्यम वर्गीय और आखिर में बड़ी रस्सी यानी अमीर। इन रस्सियों को लेकर जादूगर ने गांव वालों से कहा- ‘असली समाजवाद क्या होता है?’ इसके जवाब में उसने तीनों रस्सियों को ऊपर-नीचे कर एक ही जैसा बना दिया और फूंक मार कर बोला- यह है असली समाजवाद। हो गई न सभी रस्सी बराबर! यानी हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई, नहीं है कोई कसाई। ताली बजाआंे और बोलो समाजवाद जि़ंदाबाद।
तीसरे करतब के लिए जादूगर ने गांव के दो लड़कों को बुलाया और उन्हें दाएं और बाएं तरफ खड़ा कर दिया। अब उनसे एक गठरी में देखने के लिए कहा। इस करतब में जब भी दाएं वाला लड़का गठरी में देखता तब उसे एक कार्ड नजर आता और जब बाएं वाला लड़का देखता तब उसे 500 रुपए का नोट नजर आता।
जादूगर ने फिर दोनों की जगह बदल दी और उनसे गठरी में देखने को बोला। अब दाहिने वाले को नोट और बाएं वाले लड़के को कार्ड नजर आने लगा। अब जादूगर ने बाएं खड़े हुए लड़के को गठरी से नोट लेने को कहा, लेकिन वह लड़का हिचकिचाया। इसी बात पर जादूगर गरज पड़ा कि ‘‘यही तुम लोगों की समस्या है। तुम लोग संकोच बहुत करते हो, शक करने की आदत पड़ गयी है। सरकार कहती है लोन ले लो, कार्ड बनवा लो लेकिन आप विश्वास नहीं करते हैं। बांदा बदनाम है, यहां का किसान मेहनत नहीं करता है। पांच-पांच बीघे का कास्तकार लखपति और करोड़पति है। आप लोग सरकार को बेवकूफ बनाना सीख गये हो, सरकार पैसो का पेड़ नहीं है।’’
जादूगर योगा के इन चमत्कारों से एक बात साफ थी, अगर सेहिंगा गांव विकास से अभी भी दूर है तो वो लोगों की गलती है सरकार की नही।
22 साल के प्रदीप पटेल को यह जादू का खेल बहुत पसंद आया। उच्च शिक्षा और कौशल विकास की जानकारी उनके लिए जरूरी था। लेकिन अखिलेश सरकार के इस तिलिस्मी मायाजाल का सही कारण गांव वाले पहचान गये थे। प्रदीप का कहना था कि ‘‘यह तो चुनाव की तैयारी है। जाहिर है कि एक्जिट पोल में सपा चैथे स्थान पर है तो यह खेल पहले नम्बर पर पहुंचने के लिए ही है।‘‘ क्या जादूगर आर.सी. योगा बदल पायेगा सपा का नसीब?