खराब पड़े ट्रैफिक सिग्नल
यहां करीब दस चैराहे बिना सिग्नल हैं। यहां नियुक्त ट्रैफिक पुलिस ही गाडि़यों को रोकती और आगे बढ़ाती है। लेकिन बनारस जैसे शहर में जहां सब जल्दी में हैं वहां ट्रैफिक पुलिस के हाथों के इशारे में कम ही लोग रुकते और चलते हैं।
बनारस। बनारस पान, घाट और पंडों के लिए जाना जाता है। मगर पिछले कुछ सालों से बनारस का जाम भी खास होता जा रहा है। रोजाना हर सड़क कुछेक घंटों के लिए जरूर रुकती है। ताज्जुब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट होने के बावजूद भी पिछले एक साल में इस शहर को इस दमघोटूं जाम से छुटकारा नहीं मिल पाया। लेकिन अब लगता है कि शायद जाम के कारण धीमी हो चुकी रफ्तार वाले बनारस में कुछ तेजी आएगी।
जाम की समस्या से निपटने के लिए एसपी ट्रैफिक बी.एन. तिवारी ने बिना परमिट वाले आटो पर लगाम लगाने की योजना बनाई है। आटो अब एक साथ सवारी को घेर नहीं सकेंगे। सभी आटो का नंबर होगा। नंबर जैसे जैसे आएगा चालक अपनी सवारी लेकर हट जाएंगे। अभी शहरी और ग्रामीण बनारस का फर्क नहीं है। लेकिन अब शहर के बनारस शहर और गांव के बनारस गांव में ही चलेंगे।
करीब चैदह हजार आटो पर गिरेगी गाज
बनारस शहर में इस समय परमिट वाले आटो केवल सत्तावन सौ हैं। लेकिन यहां पर करीब बीस हजार आटो चल रहे हैं। इनमें से कुछ आटो के पास ग्रामीण इलाकों का परमिट है। मगर यह शहर में घूमते फिरते और टकराते नजर आ जाते हैं। इन आटो को शहर से बाहर करने की योजना बनाई जा चुकी है। इसके लिए गांव और शहर के आटो का रंग बदला जाएगा।