खबर लहरिया औरतें काम पर कोरोना योद्धा की तरह सेवा दे रहीं महिलाओं से ख़ास बातचीत

कोरोना योद्धा की तरह सेवा दे रहीं महिलाओं से ख़ास बातचीत

कोरोना के चलते महिलाओं को भी काम बढ़ा दिया गया। वह मरीजों और बाहर से लौटे मज़दूरों के बहुत नजदीक से काम करती हैं। उनको इस चुनौतीपूर्ण काम के साथ-साथ अपना और अपने बच्चों का किस तरह से ख्याल रखना पड़ रहा है। उनके साथ लोगों का किस तरह का व्यवहार है। इस पर हमने रिपोर्टिंग की। आइये जानते हैं हमारी खास इन्सक्लूसिव रिपोर्ट से।

मेडिकल कॉलेज की नर्सों ने बताया कि अब तक में मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए कोरोना के पॉजिटिव व्यक्तियों के बहुत ही नजदीक से इलाज़ और आइसोलेट के समय ख्याल रखा। समय समय पर उनकी दवाई और कहां पान का ध्यान रखा। इस दौरान वह खुद को पीपीएफ किट के अंदर पैक रखती है। हाथ में दस्ताने, मुंह में मास्क और ये सब कम से कम आठ घण्टे तक ड्यूटी के दौरान पहन के रखना बड़ा ही कठिन समय होता है। शुरू में बहुत दिक्कत होती थी लेकिन धीरे धीरे आदत सी बन गई है। साथ ही हर रोज उनके सीनियर उनका मोटिवेशन बढ़ाते रहते है जो कि खुद को खतरे में डालकर काम करने की ऊर्जा देता है। ड्यूटी के बाद घर जाने पर कुछ छूने से पहले खुद सेनेटाइज होती हैं। कपड़े गर्म पानी में डालकर धोना और नहाने के बाद ही घर के अंदर जाने इस तरह की सावधानी बरतते हैं। खुद में मोटीवेशन के लिए मनोरंजन कर लेती हैं। ड्यूटी के दौरान खाना पीना मोबाइल छूना सब छोड़ना होता है। ये सब होने के बाद भी जब फैमिली के लोगों से बात करती हैं वह बहुत चिंतित होते हैं तब खुद में भी बहुत घबराहट होती है। ड्यूटी की एक अवधि पूरी करने के बाद 14 दिन उनको खुद कवारेन्टीन किया जाता है तब दोबारा ड्यूटी लगती है।
इसी तरह आशा कार्यकर्ताओं को भी जिम्मेदारी दी गई कि वह लोगों को कोरोना से बचने के लिए जागरूओक करें। हर दिन 25 घरों का सर्वे कर और स्वास्थ्य विभाग को व्हाट्सएप के जरिये रिपोर्ट भेजे। जो कमाकर वापस लोग आएं हैं उनकी रिपोर्ट भी विभाग तक पहुंचाएं। अब ऐसी स्थिति में लोगों से अपमान और गाली गलौच का सामना भी करना पड़ता है।
इसी तरह सफाईकर्मी भी गणव की साफ-सफाई में जुटी हैं ताकि इस बीमारी से बचा रहा जा सके।