नई दिल्ली। 6 जनवरी से शुरू हुई कोयला मज़दूरों की हड़ताल 7 जनवरी को खत्म हो गई। हालांकि मज़दूरों ने पांच दिन की हड़ताल की घोषणा की थी। पर मज़दूर संगठनों ने कोयला एवं बिजली मंत्री पियूष गोयल से मुलाकात के बाद दूसरे दिन ही इसे खत्म कर दिया।
20 अक्टूबर 2014 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश (कुछ समय के लिए एक अस्थाई कानून) लेकर आई। इसमें बिजली, ऊर्जा और स्टील के उत्पादन से जुड़ी निजी कंपनियों को खदानों की नीलामी का हिस्सा बनाए जाने से कोयला मज़दूर खफा थे। इससे खदानों के निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके विरोध में ही हड़ताल शुरू हुई थी।
मज़दूर संगठनों का कहना है कि सरकार मज़दूरों के हितों की अनदेखी कर ऐसा अध्यादेश लाई है। इसमें सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटिड के सैंतिस लाख कर्मचारी शामिल थे। अनुमान के अनुसार दोनों दिन रोज़ाना होने वाले कुल कोयला उत्पादन का पिचहत्तर प्रतिशत का नुकसान हुआ।