भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष मालव श्रौफ ने ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाले कॉमनवेल्थ खेल के बारे में महिला खिलाड़ियों के पहनावे पर जानकारी देते हुए कहा है की इस बार खिलाड़ियां साड़ी नहीं पहनेंगी। अप्रैल में होने वाले इस खेल में अब महिला खिलाड़ियों को साड़ी और ब्लेजर (जैकेट) की जगह ब्लेज़र और पेंट के वेशभूषे में देखा जाएगा।
इस फैसले का कारण खिलाड़ियों का आराम बताया गया है। दरअसल, चर्चा 2016 में रियो में आयोजित हुए ऑलिम्पिक खेल से चली आ रही है, जब महिला खिलाडियों ने साडी के साथ ब्लेज़र पहना था, और कई खिलाड़ियों ने इस पहनावे पर अपनी झिझक बयां की थी, उनका कहना था की साड़ी पेहेनना उनके लिए मुश्किल है, और उन्हें इसमें सहायता की ज़रूरत होती है। इसके अलावा, उद्घाटन के दौरान इसे पहने रखना भी आसान काम नहीं है। आईओए ने अपने एक बयान में कहा कि ऐथलीटों के लिए यह परिधान अधिक सहज और सही है।
इस घोषणा पर भी अब विवाद शुरू हो चुका है, शूटर हीना सिंधु ने फैसले की तारीफ करते हुए, साथ ये कहा की अगर पैंट की जगह स्कर्ट होता, तो बेहतर होता, क्योंकि ये पहनावा महिलाओं पर ज़्यादा अच्छा लगता है। वहीँ धाविका ज्वाला गट्टा ने फ़रमाया की ये एक निजी फैसला है, जैसे उन्हें खुद साड़ी पेहेनना पसंद है। तो क्या संगठन को एक बार खिलाड़ियों से पूछना नहीं चाहिए था?