सोलहवे लोकसभा चुनाव को भारतीय जनता पार्टी ने एक नाम के आधार पर लड़ा और जीता था – नरेंद्र मोदी। इस ‘मोदी सरकार’ को पिछले हफ्ते सौ दिन पूरे हो गए। इन दिनों में पेट्रोल और डीज़ल के दाम गिरे, फिर बढ़े और फिर गिरे। सब्जि़यों और फलों के दाम और रेल किराए में काफी बढ़ोतरी हुई। आखिर ये सौ दिन आने वाले दिनों के लिए क्या संकेत देते हैं?
मोदी से देश को बड़ी उम्मीदें थीं और सौ दिनों के बाद यह उम्मीदें कायम हैं। मोदी ने कई नए देशों के साथ भारत की ओर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। जापान भारत के विकास में करोड़ों रुपयों का निवेश करने को तैयार है। भूटान देश के लोग मोदी से प्रभावित हुए। देश में कई लोगों का मानना है कि ‘अच्छे दिन’ शुरू हो गए हैं। आखिर इस सरकार के रहते यदि कहीं महंगाई बढ़ी तो साथ ही देश की आर्थिक स्थिति सुधरी भी है।
फिर भी सरकार के कई फैसलों पर सवाल उठाए जा सकते हैं। पिछले महीने रक्षा और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि दिल्ली में हुए दिसम्बर 2012 सामूहिक बलात्कार की घटना केवल एक छोटी सी घटना थी पर उसके कारण देश की अंतरराष्ट्रीय छवि बिगड़ गई थी। भाजपा की राष्ट्रीय कमान अमित शाह को सौंप दी गई। शाह का नाम गुजरात और मुज़फ्फरनगर साम्प्रदायिक दंगों और दो फजऱ्ी एन्काउंटर केसों से पहले से ही जुड़ा हुआ है।
इस दौरान सबसे चैंकाने वाली बात है कि किस तरह मीडिया में सरकार की नीतियों पर कोई सवाल नहीं उठाए गए। और तो और जहां मीडिया के दबाव में सरकार को अपने फैसलों पर सफाई देनी होती है, वहां यह सरकार अपने मन मजऱ्ी की मालिक मालूम होती है। शायद सौ दिन किसी सरकार और उसकी नीतियों को पूरी तरह से समझने के लिए काफी नहीं हैं। पर जो कुछ हुआ है, उससेे एक अंदाज़ा ज़रूर लगाया जा सकता है।
कैसे रहे ये सौ दिन
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