इस टूर्नामेंट से कई शानदार खिलाड़ी उभर कर आए जिन्होंने अपने अद्भुत खेल का प्रदर्शन किया । ऐसे में सोचिए कि यदि एक सुपर टीम बनाई जाए तो उसमें कौनसे बेहतरीन खिलाडियों को शामिल किया जाएगा ? आइए देखे कौनसे खिलाडी इस टीम का हिस्सा हो सकते हैं …
मोहम्मद शहज़ाद, अफ़ग़ानिस्तान: 7 मैच में 222 रन
अफगानिस्तान टीम का इस टूर्नामेंट में होने का सबसे बड़ा कारण मोहम्मद शहजाद हैं। इस ओपनिंग बल्लेबाज ने पहले राउंड में ही अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से साउथ अफ्रीका को बुरी तरह से हरा दिया था। यह उन मुख्य खिलाडियों में से एक हैं जिन्होंने टीम को अपनी सबसे बड़े जीत दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान टीम ही थी जिसने वेस्ट इंडीज को करारी शिकस्त दी ।
रॉय ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 44 बॉल में 78 रन बनाकर टीम को जीत दिलायी और इस जीत से इंग्लैंड ने फाइनल में अपनी जगह बन ली थी।
अगर ये टूर्नामेंट न होकर एकल सीरीज होती तो निश्चित ही उसमें विराट की विजय होती। उनके ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेले गए शानदार खेल को भूला नहीं जा सकता। सालों बाद अगर आप ये मैच देखेंगे तब भी आप बता नहीं पाएंगे की कोहली टी-20 वन डे या टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं! इस टूर्नामेंट में कोहली का जो प्रदर्शन रहा उसको देखते हुए ‘किंग कोहली’ की उपाधि भी कम है।
जो रुट, इंग्लैंड: 6 मैच में 249 रन
इंग्लैंड की फाइनल में आने की मुख्या वजह जो रुट ही थे। फाइनल में खेली गयी उनकी पारी ने उन्हें वापस फॉर्म में ला दिया। कोहली के बाद जो रुट टूर्नामेंट के बेहतरीन खिलाडी साबित हुए हैं। यदि दोनों की जुगलबन्दी की जाए तो इन्हें कोई नहीं हरा सकता ।
मार्लोन सैमुएल्स, वेस्ट इंडीज: 6 मैच में 181 रन
सैमुएल्स का अनोखा अंदाज ही उन्हें वेस्ट इंडीज टीम का हीरो बनाता है। जितनी अच्छी यह बल्लेबाजी करते हैं उतने ही अच्छे शब्दों के भी खिलाड़ी हैं। जिससे उन्होंने सबका दिल जीत लिया है ।
जोस बटलर, इंग्लैंड: 6 मैच में 191 रन
इंग्लैंड को फ़ाइनल का रास्ता दिखाने में जोस बटलर का योगदान रहा । अपनी शानदार पारी खेल कर उन्होंने विरोधी टीम को शिकस्त दी । बेहतरीन बल्लेबाज़ होने के साथ साथ वो एक ज़बरदस्त विकेट कीपर भी हैं ।
आंद्रे रसल, वेस्ट इंडीज: 6 मैच में 9 विकेट और 91 रन
साधारण खेल खेलते हुए भी संतनेर ने टूर्नामेंट में अपनी अलग छाप छोड़ी । गेंद पर बेहतरीन नियंत्रण रखते हुए उन्होंने टूर्नामेंट के पहले 6 ओवर में ही15 रन में 6 विकेट लिए । इस बेहतरीन गेंदबाज़ी के कारण इंडिया (4 -11 ), ऑस्ट्रेलिया (2-30) और पाकिस्तान (2-29) के शानदार बल्लेबाज़ों को भी उन्होंने काबू में रखा ।
डेविड विल्ली, इंग्लैंड: 6 मैच में 10 विकेट
प्रैक्टिस मैच में एक के बाद एक 3 विकेट ले कर उन्होंने अपनी काबिलियत दिखाई । अपने कप्तान को गेंदबाज़ी से कैसे प्रभावित करना है ये डेविड को अच्छे से आता है । फाइनल में वेस्ट इंडीज के खिलाफ उन्होंने सिर्फ 20 रन में 3 महत्वपूर्ण विकट लेकर अपना प्रभाव बनाए रखा ।
शमूएल बद्री, वेस्ट इंडीज: 6 मैच में 9 विकेट
शमूएल भले ही वेस्ट इंडीज के सबसे प्रसिद्द खिलाड़ी नहीं है लेकिन वो किसी चैंपियन से कम भी नहीं हैं। पावर प्ले ओवर होने के बाद भी बल्लेबाज़ को अपनी आक्रमक गेंदबाज़ी के द्वारा रन नहीं लेने देते । पूरे टूर्नामेंट में इस गेंदबाज़ का सबसे जानदार आंकड़ा रहा है, जिसका उदहारण टूर्नामेंट का लास्ट मैच है जिसमें उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 9 विकेट ले कर इतिहास रचा !
आशीष नेहरा, भारत:
नेहरा ने पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ 5 विकेट लिए, लेकिन कहानी यहां ख़त्म नहीं होती। इन्होने 19 ओवर में सिर्फ 5.94 की इकॉनमी रेट पर जोरदार गेंदबाज़ी की और तेज़ बॉलर होते हुए स्पिनर वाले मैदानों में जबरदस्त प्रदर्शन किया । इनका खेल इसलिए भी सराहनीय रहा क्योंकि इन्होने हमेशा अधिक दबाव वाली परिस्थतियों में भी अथवा खेल के अंत के पावर प्ले में अद्भुत गेंदबाज़ी का प्रदर्शन किया है।